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धरती पर विशाल कीड़ों का राज

सोचिए, एक ऐसा समय जब धरती पर जंगलों में छोटे-छोटे कीड़े नहीं बल्कि दानव जैसे विशाल कीड़े घूमते थे! आज के कीड़ों से बिल्कुल अलग, प्राचीन काल में ये कीड़े इतने बड़े थे कि आपको उनकी कल्पना भी चौंका देगी। चलिए चलते है करीब 358-298 मिलियन साल पहले, जब धरती पर कार्बोनिफेरस काल में ऑक्सीजन का स्तर आज से कहीं ज्यादा, लगभग 35% तक पहुँच गया था।

आइए, इन अद्भुत जीवों के बारे में  थोड़ा विस्तार से समझें:

🌍 उच्च ऑक्सीजन स्तर और जीवन की विशालता

 

 उस समय धरती पर ऑक्सीजन का स्तर आज के मुकाबले काफी अधिक था, जिससे वातावरण बहुत गाढ़ा और जीवों के लिए उपयुक्त था।

– कीड़ों के पास सीधे ऑक्सीजन को अवशोषित करने का तरीका होता है, और ज्यादा ऑक्सीजन का मतलब था कि वे ज्यादा बड़े शरीर को आसानी से पोषित कर सकते थे। इस तरह, उस समय के कीड़े विशालकाय रूप धारण कर सके।

 🦋 विशालकाय ड्रैगनफ्लाई: मेगानेउरा

– उस समय का एक प्रमुख कीट मेगानेउरा था, जो एक विशाल ड्रैगनफ्लाई के रूप में जाना जाता था। इसके पंखों का फैलाव दो फीट से भी ज्यादा था, जो आज के किसी पक्षी से कम नहीं था।

यह ड्रैगनफ्लाई इतनी विशाल थी कि इसे शिकार करते देखना अपने आप में रोमांचक होता। उस समय यह जंगलों में अपनी शक्ति का प्रतीक थी।

🐞 दानव मिलिपीड: अर्थ्रोप्ल्यूरा

अर्थ्रोप्ल्यूरा, एक विशाल मिलिपीड था, जिसकी लंबाई छह फीट तक होती थी। इस मिलिपीड का शरीर घने जंगलों में सरीसृप की तरह चलता, और इसकी लंबाई एक इंसान के बराबर होती थी।

इसकी उपस्थिति अपने आप में इतनी प्रभावशाली थी कि यह धरती के सबसे बड़े आर्थ्रोपोड्स में गिना जाता है।

🦂 समुद्री दानव: जेकलोप्टेरस

जेकलोप्टेरस, एक प्राचीन समुद्री बिच्छू था, जिसकी लंबाई आठ फीट तक पहुँच सकती थी। यह पानी के अंदर रहने वाला जीव था और इतना बड़ा था कि आज के इंसान से भी लंबा होता।

 इसका शरीर पूरी तरह से समुद्र के वातावरण के अनुसार ढला हुआ था और इसे देखकर लगता था जैसे समुद्र का कोई खौफनाक प्राणी हो।

 क्यों थे कीड़े इतने बड़े?

उस समय के कीड़ों की विशालता का मुख्य कारण था उच्च ऑक्सीजन स्तर। इनकी श्वसन प्रणाली, जिसे स्पाइरिकल्स कहा जाता है, सीधे वातावरण से ऑक्सीजन अवशोषित करती थी।

अधिक ऑक्सीजन ने इनके शरीर को बड़ा और शक्तिशाली बनने में सहायता दी। जैसे-जैसे वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर घटा, इन विशाल कीड़ों का आकार भी छोटा होता गया, और वे आज के छोटे कीड़ों में विकसित हो गए।

प्राचीन जीवाश्मों की ये खोज हमें उस रोमांचक काल की याद दिलाती है, जब धरती पर कीड़ों का एक विशाल साम्राज्य था।

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