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इंसानी भ्रूण की 3D प्रिंटिंग : IIT मद्रास की अभुत्पूर्व मुहिम

जब बात विज्ञान और तकनीक में रिकॉर्ड तोड़ने की आती है, तो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) का नाम सबसे ऊपर आता है। इस बार, उन्होंने मानव भ्रूण के मस्तिष्क की सबसे विस्तृत 3D हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें जारी कर विज्ञान के क्षेत्र में एक बेमिसाल उपलब्धि हासिल की  है।

भ्रूण मस्तिष्क की हाईरिज़ॉल्यूशन तस्वीरें

IIT मद्रास के सुधा गोपालकृष्णन ब्रेन सेंटर ने पहली बार दुनिया को भ्रूण के मस्तिष्क का 5,132 खंडों वाला डिजिटल डेटा पेश किया है।
ये तस्वीरें न केवल अद्भुत हैं, बल्कि इनका उपयोग भ्रूण विकास के दौरान बीमारियों का शीघ्र पता लगाने और उनका इलाज करने में होगा।

इस परियोजना को पश्चिमी देशों की तुलना में 1/10वें हिस्से की लागत पर पूरा किया गया। मतलब, भारत में न केवल बड़े सपने देखे जा रहे हैं, बल्कि उन्हें किफायती तरीके से पूरा भी किया जा रहा है।

धारिणी: दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए तोहफा

IIT मद्रास ने यह डेटा धारिणी’ प्लेटफॉर्म पर दुनिया भर के सभी शोधकर्ताओं के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराया है।
जर्नल ऑफ कम्पेरेटिव न्यूरोलॉजी के प्रधान संपादक सुजाना हरकुलानोहौजेल ने कहा,

“यह डेटा मानव भ्रूण मस्तिष्क का अब तक का सबसे बड़ा और सार्वजनिक रूप से सुलभ डिजिटल डेटा है।”

IIT मद्रास: एक टीम, पांच देशों का साथ

इस शोध में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, रोमानिया और दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया।
चेन्नई के मेडिस्कैन सिस्टम्स और सविता मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने इस परियोजना में खास योगदान दिया।

कैसे काम करती है यह ब्रेन मैपिंग तकनीक?

IIT मद्रास ने इस तकनीक में भ्रूण के मस्तिष्क के खंडों को अलग-अलग करके उनका डिजिटल मॉडल तैयार किया।

  • इन खंडों की तस्वीरें इतनी विस्तृत हैं कि मस्तिष्क के सूक्ष्म विकासात्मक चरणों को भी देखा जा सकता है।
  • इस डेटा का उपयोग ऑटिज़्म, डेवलपमेंट डिसॉर्डर, और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में मदद करेगा।

भविष्य का विज्ञान: भ्रूण पर हो रहे अन्य प्रयोग

IIT मद्रास केवल मस्तिष्क की तस्वीरें लेने तक सीमित नहीं है।

  • हाल ही में उन्होंने भ्रूण में सेल डेवलपमेंट पर AI तकनीक का उपयोग कर जीन मैपिंग का काम शुरू किया है।
  • ये शोध यह समझने में मदद करेगा कि गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में बीमारियां कैसे विकसित होती हैं

जहां पश्चिमी देश इस तकनीक के लिए करोड़ों खर्च कर रहे हैं, वहीं IIT मद्रास ने इसे बेहद कम खर्चे में संभव कर दिखाया।
अब पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है, यह जानने के लिए कि कैसे यह शोध तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

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