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वूली माउस: वूली मैमथ को वापस लाने की दिशा में एक सफल प्रयोग

कल्पना कीजिए, आप एक ठंडी बर्फीली रात में अपने घर के आरामदायक कोने में बैठे हैं, और अचानक दरवाजे पर हल्की सी दस्तक होती है। आप दरवाजा खोलते हैं, और सामने एक छोटे से चूहे को देखते हैं, लेकिन यह कोई साधारण चूहा नहीं है। इसका शरीर घने, ऊनी फर से ढका है, जो उसे ठंड से बचाता है। क्या यह किसी परीकथा का हिस्सा है? नहीं, यह आज की विज्ञान की वास्तविकता है।

वूली माउस: 

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत प्रयोग किया है। उन्होंने चूहों के डीएनए में कुछ ऐसे जीन जोड़े हैं, जो हजारों साल पहले विलुप्त हो चुके वूली मैमथ के थे। इन जीनों की मदद से चूहों में वूली मैमथ जैसी विशेषताएं विकसित हुईं, जैसे कि घना ऊनी फर, जो उन्हें ठंडे वातावरण में जीवित रहने में मदद करता है।

कैसे किया गया यह प्रयोग?

वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग में “क्रिस्पर जीन एडिटिंग” तकनीक का उपयोग किया। सबसे पहले, उन्होंने एशियाई हाथी और वूली मैमथ के डीएनए की तुलना की, जिससे पता चला कि कौन-से जीन मैमथ को ठंड में जीवित रहने में मदद करते थे। इनमें विशेष रूप से UGP2 जीन महत्वपूर्ण था, जो शरीर में वसा और फर की मोटाई को नियंत्रित करता है।

इसके बाद, वैज्ञानिकों ने इन विशेष जीनों को प्रयोगशाला में विकसित चूहे के भ्रूण में डाला। जब ये भ्रूण विकसित हुए और छोटे चूहे पैदा हुए, तो उनके शरीर पर घने, ऊनी फर विकसित हो गए। यह पहली बार था जब किसी जीवित प्राणी में वूली मैमथ के जीन सफलतापूर्वक सक्रिय किए गए।

वूली मैमथ: बर्फीले युग के विशालकाय हाथी

वूली मैमथ, जो हाथियों के पूर्वज थे, बर्फ युग में पृथ्वी पर घूमते थे। उनके विशाल शरीर और घने फर ने उन्हें ठंड से बचाया। लेकिन लगभग 4,000 साल पहले, वे विलुप्त हो गए। वैज्ञानिक लंबे समय से उन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयास में लगे हैं, और वूली माउस का यह प्रयोग उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज?

यह खोज केवल वूली मैमथ को पुनर्जीवित करने की कोशिश नहीं है, बल्कि यह हमें यह समझने में मदद करती है कि कैसे जीन संपादन तकनीकों का उपयोग करके हम विलुप्त प्रजातियों को वापस ला सकते हैं। इसके अलावा, यह हमें यह भी सिखाता है कि कैसे हम वर्तमान में खतरे में पड़ी प्रजातियों की रक्षा कर सकते हैं और उन्हें बदलते पर्यावरण के अनुकूल बना सकते हैं।

वूली माउस का यह प्रयोग हमें भविष्य की अनंत संभावनाओं की झलक देता है। वैज्ञानिकों का अगला लक्ष्य इस तकनीक को हाथियों पर लागू करना है, ताकि भविष्य में एक वूली मैमथ का जन्म संभव हो सके। अगर यह प्रयास सफल होता है, तो हमें बर्फीले मैदानों में घूमते वूली मैमथ देखने को मिल सकते हैं।

इसके अलावा, यह तकनीक अन्य विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने में भी मदद कर सकती है, जैसे डोडो पक्षी और साइबेरियन बाघ। क्या हम वास्तव में अतीत को वापस ला सकते हैं? क्या यह तकनीक जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद कर सकती है? यह समय ही बताएगा।

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