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Type Ia सुपरनोवा का रहस्य सुलझा: 150 प्रकाशवर्ष दूर मिला एक बाइनरी व्हाइट ड्वार्फ सिस्टम जो 23 अरब साल में फटेगा

  हर वो तारा जो शाम के आकाश में टिमटिमाता है, एक दिन मर जाएगा। उसकी चमक बुझ जाएगी और उसकी आग ठंडी पड़ जाएगी ।

लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक binary white dwarf star system की मृत्यु का न केवल समय अनुमानित किया है, बल्कि यह भी पता लगाया है कि यह मृत्यु कितनी शानदार और विस्फोटक होगी — एक Type Ia सुपरनोवा के रूप में।

यह बाइनरी सिस्टम पृथ्वी से सिर्फ 150 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है, यानी हमारे “गैलेक्टिक पड़ोस” में। इसका नाम है WDJ181058.67+311940.94 और इसकी कुल संयुक्त द्रव्यमान (mass) सूर्य के 1.56 गुना के बराबर है।


क्या होता है Type Ia Supernova?

Type Ia सुपरनोवा वो ब्रह्मांडीय धमाके होते हैं जो तब होते हैं जब एक white dwarf — एक अल्ट्रा-घना, मृत तारा जो मुख्य अनुक्रम (main sequence) से बाहर आ चुका होता है — अपना Chandrasekhar सीमा (लगभग 1.4 सूर्य के द्रव्यमान) पार कर जाता है। इसके बाद तारा अस्थिर हो जाता है और एक विस्फोट में फट जाता है।

ये विस्फोट न केवल ब्रह्मांड में भारी तत्वों का बीजारोपण करते हैं, बल्कि इनकी सुस्पष्ट चमक सीमा (standard brightness) के कारण इन्हें ब्रह्मांड की दूरियों को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।


बाइनरी व्हाइट ड्वार्फ 

अब तक यह धारणा थी कि अधिकतर Type Ia सुपरनोवा की उत्पत्ति दो व्हाइट ड्वार्फ तारों के बाइनरी सिस्टम से होती है, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं था।

James Munday और उनकी टीम ने DBL सर्वे के आंकड़ों में एक ऐसा बाइनरी सिस्टम खोज निकाला, जो न केवल पर्याप्त द्रव्यमान रखता है जिससे वह निश्चित रूप से Type Ia सुपरनोवा में बदल सके, बल्कि वह ऐसा समयरेखा भी प्रस्तुत करता है जो ब्रह्मांड की उम्र (13.8 अरब वर्ष) के आसपास आता है — लगभग 23 अरब वर्षों बाद यह धमाका होगा।


इतनी खास क्यों है यह खोज?

  • अब तक हमें किसी भी ऐसे सिस्टम का अवलोकन नहीं हुआ था जो पर्याप्त रूप से करीब हो, और जिसका द्रव्यमान Chandrasekhar सीमा से ऊपर हो।

  • यह पहला ऐसा अवलोकनीय उदाहरण है जो Type Ia सुपरनोवा के double white dwarf progenitor सिद्धांत की पुष्टि करता है।

  • इससे हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि मिल्की वे गैलेक्सी में Type Ia सुपरनोवा की दर में कुछ प्रतिशत हिस्सेदारी इन बाइनरी सिस्टम्स की है।


23 अरब साल बाद क्या होगा?

इस सिस्टम में दोनों व्हाइट ड्वार्फ एक-दूसरे के बेहद करीब हैं — पृथ्वी और सूर्य की दूरी के 1/60वें हिस्से पर। वे धीरे-धीरे अपनी कक्षाओं में ऊर्जा खोते हुए एक-दूसरे की ओर खिंचते जा रहे हैं। लगभग 23 अरब साल बाद, वे आपस में टकराएंगे और एक भव्य सुपरनोवा में विस्फोटित हो जाएंगे।

तब तक, न तो पृथ्वी होगी, और शायद न ही इंसान। हमारा सूरज भी तब तक एक व्हाइट ड्वार्फ बन चुका होगा। यानी चिंता की कोई बात नहीं — यह धमाका हमारे लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन ब्रह्मांड को समझने के लिए बेहद जरूरी है।

यह खोज एक बड़ा ब्रह्मांडीय सुराग है — अब हमारे पास एक प्रत्यक्ष उदाहरण है जो सिद्ध करता है कि double white dwarf systems ही Type Ia सुपरनोवा के असली जनक हैं। अब हम जान चुके हैं कि इन जैसे और भी सिस्टम्स हमारी गैलेक्सी में मौजूद हो सकते हैं — शायद हमारी आंखों के सामने, लेकिन अब तक अनदेखे।

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