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Lazy Bones से लेकर स्मार्ट वॉयस कमांड तक: TV रिमोट का अनोखा सफर:

कल्पना कीजिए — आप 1950 के दशक में हैं। कमरे के कोने में एक भारी-भरकम टेलीविज़न सेट रखा है। चैनल बदलना है तो सोफे से उठना पड़ेगा, जाकर डायल घुमाना होगा। कोई विकल्प नहीं। लेकिन फिर एक दिन, आपके हाथ में एक डिवाइस आता है — आप अपनी जगह से हिले बिना टीवी बंद भी कर सकते हैं, चैनल बदल भी सकते हैं। यह था टीवी रिमोट कंट्रोल का जन्म |

इतिहास :

साल 1950। Zenith Radio Corporation (आज की LG Electronics USA) ने बनाया पहला टीवी रिमोट, जिसका नाम था Lazy Bones

यह एक तार वाले रिमोट की तरह था, जो टीवी से जुड़ा रहता था। रिमोट के बटन दबाकर चैनल बदले जा सकते थे, टीवी ऑन/ऑफ किया जा सकता था। टीवी के अंदर लगी मोटर, रिमोट के संकेत पर डायल को घुमाती थी।

लेकिन एक बड़ी दिक्कत थी — यह लंबा तार पूरे कमरे में फैला रहता था और लोग उस पर पैर रखकर गिर जाते थे। यह समस्या जल्द ही जेनिथ टीम को समझ आ गयी और उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया| जिसके फलस्वरूप 1955 में Zenith के इंजीनियर यूजीन पॉली ने दुनिया का पहला वायरलेस टीवी रिमोट — Flash-Matic बनाकर तैयार कर दिया |

यह रिमोट किसी टॉर्च जैसा दिखता था। जिसकी टीवी स्क्रीन के चार कोनों में फोटोसेल लगाए गए थे। दर्शक टॉर्च की रौशनी से इन सेंसरों को सक्रिय करता था जिससे  टीवी ऑन/ऑफ होता और चैनल बदलते थे | इस तरह तारो से तो छुटकारा मिल गया था लेकिन एक और चुनौती अब सामने आ चुकी थी जब टीवी पर सूरज की रौशनी सीधे पड़ती, तो चैनल अपने आप बदलने लगते। तब लोगों ने महसूस किया — हमें और बेहतर रिमोट की ज़रूरत है।

चुनौतियाँ, जो आसान नहीं थीं

Zenith के संस्थापक कमांडर यूजीन मैकडोनाल्ड को पूरा यक़ीन था कि लोग विज्ञापनों को पसंद नहीं करेंगे। वो एक ऐसा रिमोट चाहते थे जिससे लोग टीवी का शोर कम कर सकें — खासकर विज्ञापन के समय।

उनके इंजीनियरों ने कई विकल्पों पर विचार किया:

  • रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जा सकता था, लेकिन वे दीवारों के पार चली जातीं और पड़ोसी का टीवी भी कंट्रोल हो सकता था।

  • ध्वनि आधारित संकेत भी सुझाए गए, लेकिन दिक्कत थी — घर के शोर या टीवी शो की आवाज़ से गलती से टीवी खुद ही ऑपरेट होने लगता।

  • बैटरियों से चलने वाले रिमोट उस समय आम नहीं थे, और अगर बैटरी खत्म हो जाती तो ग्राहक समझते कि टीवी ही खराब हो गया है।

इस जद्दोजहद के बीच, एक नाम सामने आया — डॉ. रॉबर्ट एडलर

अल्ट्रासोनिक रिमोट: 

डॉ. एडलर ने सोचा — क्यों न इंसानी सुनने की सीमा से बाहर की ध्वनि, यानी अल्ट्रासोनिक साउंड, का इस्तेमाल किया जाए?

उन्होंने एक रिमोट बनाया जिसमें चार पतले एल्यूमिनियम रॉड लगाए गए। जब रिमोट का बटन दबाया जाता, तो एक स्प्रिंग एक छोटी हथौड़ी से रॉड को मारता — और उससे एक खास तरह की अल्ट्रासोनिक ध्वनि निकलती।

  • हर रॉड एक अलग कमांड के लिए था — जैसे चैनल ऊपर, चैनल नीचे, वॉल्यूम ऑन/ऑफ और टीवी ऑन/ऑफ।

यह रिमोट, जिसका नाम रखा गया Zenith Space Command, 1956 में बाजार में आया और एक बड़ी सफलता बनी।

हालांकि यह तकनीक महंगी थी, क्योंकि टीवी सेट में इसे सपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त वैक्यूम ट्यूब लगाने पड़ते थे, फिर भी इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। जल्द ही यह तकनीक और कंपनियों द्वारा भी अपनाई गई।

ट्रांजिस्टर ने बदली तस्वीर

1960 के दशक में जैसे ही वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर आए, रिमोट कंट्रोल और छोटे, सस्ते और बैटरी से चलने वाले हो गए। अब अल्ट्रासोनिक तरंगें इलेक्ट्रॉनिक रूप से उत्पन्न होने लगीं।और यह रिमोट चल पड़ा |

25 वर्षों तक यह तकनीक बाजार में बनी रही। Zenith के ऐसे 90 लाख से अधिक टीवी सेट बिके, जो इस रिमोट से कंट्रोल होते थे।

इन्फ्रारेड का युग

1980 के दशक में एक और क्रांति आई — इन्फ्रारेड रिमोट कंट्रोल

अब रिमोट एक ऐसी लाइट बीम भेजता था जिसे हमारी आंखें नहीं देख सकती थीं, लेकिन टीवी का रिसीवर उसे पहचान लेता था। यह प्रणाली सटीक, तेज़ और अधिक भरोसेमंद थी।

Zenith ने इसमें भी कई सुधार किए — जैसे केबल-संगत ट्यूनिंग और टेक्स्ट-आधारित जानकारी दिखाने की क्षमता।

सम्मान और विरासत

Zenith के दोनों आविष्कारक, यूजीन पॉली और डॉ. एडलर, को उनके नवाचारों के लिए खूब सराहा गया।

  • 1997 में दोनों वैज्ञानिक यूजीन पॉली और डॉ. एडलर, को वायरलेस रिमोट कंट्रोल की खोज के लिए Emmy Award से सम्मानित किया गया | एवं 2006 में  Technology Leadership Award से भी सम्मानित किया गया |

  • पॉली और एडलर को अलग-अलग वर्षों में IEEE और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी उच्च तकनीकी सम्मान मिले।

निष्कर्ष: एक बटन, जिसने हमारी दुनिया बदल दी

आज हम जिस सुविधा को हल्के में लेते हैं — वह कभी क्रांतिकारी सोच और कई विफलताओं से निकली सफलता का परिणाम थी। Lazy Bones से लेकर Space Command और आज के स्मार्ट, वॉयस-एक्टिवेटेड रिमोट तक — इस एक बटन ने हमारे देखने, सोचने और जीने के तरीके को बदल दिया है।

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