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वैज्ञानिको को पहले परमाणु बम परीक्षण से बना एक ऐसा दुर्लभ क्रिस्टल मिला है जिसका बनना असंभव माना जाता था

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दुनिया के पहले परमाणु बम परीक्षण के दौरान एक क्रिस्टल  का निर्माण हुआ था। यह दुर्लभ और जटिल पदार्थ, जिसे कभी असंभव माना जाता था, 16 जुलाई 1945 को न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में हुए ट्रिनिटी परीक्षण के दौरान बना था। यह खोज PNAS (Proceedings of the National Academy of Sciences) में प्रकाशित हुई और यह क्रिस्टल था क्वैज़ीक्रिस्टल जो न केवल परमाणु विस्फोटों की तीव्र परिस्थितियों की गहराई से समझ प्रदान करता  है, बल्कि भविष्य के परमाणु अनुसंधान और निगरानी के लिए भी नई दिशा खोलता  है।


क्या होते हैं क्वैज़ीक्रिस्टल?

क्वैज़ीक्रिस्टल सामान्य क्रिस्टलों से अलग होते हैं। सामान्य क्रिस्टलों में परमाणुओं की एक दोहराई जाने वाली संरचना होती है, जबकि क्वैज़ीक्रिस्टल में परमाणु एक विशेष लेकिन गैर-दोहराव वाले पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं। इस नई खोज में वैज्ञानिकों को लाल ट्रिनाइटाइट (Trinitite) में एक ऐसा क्वैज़ीक्रिस्टल मिला जो पाँच गुना सममित संरचना (five-fold symmetry) प्रदर्शित करता है — एक ऐसी आकृति जिसे लंबे समय तक भौतिक रूप से असंभव माना जाता था।


कैसे बना यह अद्वितीय क्वैज़ीक्रिस्टल?

ट्रिनिटी परीक्षण के दौरान जब प्लूटोनियम आधारित ‘गैजेट’ डिवाइस विस्फोटित हुई, तब उसका तापमान और दबाव इतने अधिक थे कि आस-पास की रेत और तांबे जैसे पदार्थ पिघलकर एक साथ मिल गए और हरे रंग के ग्लास जैसे पदार्थ ‘ट्रिनाइटाइट’ का निर्माण हुआ। लाल ट्रिनाइटाइट के एक सूक्ष्म टुकड़े में यह क्वैज़ीक्रिस्टल पाया गया।

टेरी वॉलेस, जो लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी से जुड़े हैं, बताते हैं:

“क्वैज़ीक्रिस्टल बेहद चरम परिस्थितियों में ही बनते हैं — जैसे उच्च तापमान, भारी दबाव और तीव्र झटकों के बीच — और ये केवल कुछ ही जगहों पर संभव हो पाते हैं, जैसे कि एक परमाणु विस्फोट में।”


क्यों है यह खोज इतनी खास?

  • दुर्लभ संरचना: पाँच गुना सममिति वाली क्रिस्टल संरचना प्राकृतिक रूप में अत्यंत दुर्लभ है।

  • स्थायित्व: ये क्वैज़ीक्रिस्टल अनिश्चितकाल तक टिक सकते हैं, इसलिए ये विस्फोट की स्थायी गवाही बन सकते हैं।

  • नाभिकीय फॉरेंसिक में उपयोग: ये क्रिस्टल भविष्य में परमाणु परीक्षणों की पहचान और विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं, चाहे परीक्षण किसी भी देश ने किया हो।

टेरी वॉलेस का कहना है:

“किसी परमाणु विस्फोट की साइट पर बना क्वैज़ीक्रिस्टल हमें ऐसे सुराग दे सकता है जो अन्यथा संभव नहीं होते — और ये हमेशा के लिए मौजूद रहेंगे।”

इस खोज से न केवल भौतिकी के नियमों की हमारी समझ को चुनौती मिलती है, बल्कि यह भी संकेत मिलता है कि अभी भी परमाणु परीक्षणों के परिणामों को पूरी तरह से समझना बाकी है। वैज्ञानिक इस खोज से प्रेरित होकर अब उस ताप-गतिकी (thermodynamics) को समझने का प्रयास करेंगे, जिसने इस अनूठी संरचना को जन्म दिया।

यदि भविष्य में ऐसे क्वैज़ीक्रिस्टल्स की और खोज होती है, तो यह परमाणु शस्त्र नियंत्रण और वैश्विक सुरक्षा की दिशा में एक ठोस कदम साबित हो सकता है।

 

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