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त्वचा जैसी स्मार्ट हाइड्रोजेल! अब घाव खुद भरेंगे — सिर्फ 24 घंटे में

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक कृत्रिम पदार्थ इंसानी त्वचा की तरह खुद को ठीक कर सके? अब यह सिर्फ कल्पना नहीं रह गई है। फ़िनलैंड की Aalto University और जर्मनी की University of Bayreuth के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक नई ‘सेल्फ-हीलिंग हाइड्रोजेल’ विकसित की है, जो इंसानी त्वचा की तरह खुद को 90% तक महज 4 घंटे में और पूरी तरह 24 घंटे में ठीक कर सकती है।

क्या है हाइड्रोजेल?

हाइड्रोजेल एक प्रकार का जेल है जो बहुत अधिक पानी सोख सकता है और आमतौर पर यह बालों की देखभाल, खाद्य उत्पादों और औषधीय ड्रेसिंग में प्रयोग होता है। लेकिन अब यह तकनीक मानव त्वचा की नकल करने के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ रही है।


यह हाइड्रोजेल इतना खास क्यों है?

इंसानी त्वचा न केवल लचीली और मजबूत होती है, बल्कि उसमें अपने आप को ठीक करने की अद्भुत क्षमता भी होती है। वैज्ञानिकों के लिए अब तक एक ऐसी सामग्री बनाना मुश्किल था, जो इन सभी गुणों को एक साथ समेटे। लेकिन इस शोध में ऐसा संभव हो पाया है।

कैसे हुआ यह संभव?

इस नई हाइड्रोजेल में बड़े और बहुत पतले क्ले (मिट्टी) नैनोशीट्स को जोड़ा गया है। यह नैनोशीट्स जेल की संरचना को एक संगठित रूप देते हैं और उसमें मौजूद पॉलीमर को घनिष्ठ रूप से उलझाते हैं। इससे न केवल जेल मजबूत बनती है, बल्कि जब यह क्षतिग्रस्त होती है, तो यह अपने आप को तेजी से ठीक कर सकती है।

शोधकर्ता बताते हैं:

“प्राकृतिक ऊतक (जैसे हमारी त्वचा) मजबूत और कठोर होते हैं, फिर भी वे खुद को ठीक कर सकते हैं। परंतु सिंथेटिक हाइड्रोजेल्स में यह संतुलन नहीं देखा गया था। हमारे नए दृष्टिकोण से यह संतुलन हासिल किया गया है।”


संभावित उपयोग: चिकित्सा से रोबोटिक्स तक

इस खोज के कई भविष्य के उपयोग हो सकते हैं:

  • चोट और घाव भरने में तेज़ इलाज

  • जले हुए मरीजों के लिए कृत्रिम त्वचा

  • सर्जरी के बाद की रिकवरी में सुधार

  • सॉफ्ट रोबोटिक्स और कृत्रिम अंगों में उपयोग

चूंकि यह जेल खुद को इतनी जल्दी और पूरी तरह ठीक कर सकती है, यह दवा पहुंचाने वाले उपकरणों, चिकित्सा इम्प्लांट्स और कृत्रिम त्वचा जैसे क्षेत्रों में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

इस शोध को 7 मार्च को Nature Materials नामक प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है। यह न केवल एक तकनीकी सफलता है, बल्कि चिकित्सा और जैविक इंजीनियरिंग के भविष्य के लिए एक नई उम्मीद की किरण भी है।

आशा है कि आने वाले वर्षों में यह तकनीक अस्पतालों और क्लीनिकों में आम हो जाएगी और लाखों लोगों को तेज़ और सुरक्षित उपचार का अवसर मिलेगा।

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