13 जून 2024 को, ऑस्ट्रेलिया के एक वीरान इलाके में, वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा सुना जो उन्होंने कभी सोचा नहीं था — 30 नैनोसेकंड की एक बेहद तेज़ रेडियो तरंग। यह एक फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB) जैसा लगा, जो आमतौर पर अरबों प्रकाशवर्ष दूर से आता है।
लेकिन जैसे ही वैज्ञानिकों ने उसकी दिशा और स्रोत की जांच की, उनके होश उड़ गए।
यह सिग्नल ब्रह्मांड की गहराइयों से नहीं, बल्कि हमारे पृथ्वी की कक्षा से आया था। और वो भी एक सैटेलाइट से, जिसे दशकों पहले “मृत” घोषित कर दिया गया था।
‘रेले 2’ उपग्रह और इसका रहस्य :
ये संकेत आया NASA के Relay 2 सैटेलाइट से — जिसे 1964 में लॉन्च किया गया था और 1967 में स्थायी रूप से काम करना बंद कर दिया था। यह सैटेलाइट उस समय टीवी और डेटा ट्रांसमिशन का एक प्रयोगात्मक माध्यम था, जिसने महाद्वीपों के बीच संचार की नींव रखी थी।
कैसे प्राप्त हुआ यह सिग्नल?
इस संकेत को सबसे पहले ASKAP (Australian Square Kilometre Array Pathfinder) टेलीस्कोप ने पकड़ा। इसकी लंबाई 30 नैनोसेकंड थी जो एक पलक झपकने से भी कई गुना कम होता है |
यह संकेत क्यों और कैसे आया, इसे लेकर दो प्रमुख थ्योरी सामने आई हैं:
इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज (ESD):
सैटेलाइट पर वर्षों से जमा हुआ विद्युत आवेश अचानक डिस्चार्ज हो सकता है, जिससे एक पल भर के लिए यह सिग्नल बना हो।माइक्रोमीटीयरॉइड टक्कर:
एक तेज़ गति वाला धूल का कण, सैटेलाइट से टकराकर प्लाज़्मा और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स बना सकता है।
दोनों ही घटनाएँ आंखों से नहीं दिखतीं, लेकिन रेडियो तरंगों पर असर डाल सकती हैं।
पूर्व में हुई इस तरह की घटनाये :
ये घटना हमें उन ज़ोंबी सैटेलाइट्स की याद दिलाती है, जो सालों तक निष्क्रिय रहने के बाद फिर से “जिंदा” हो उठते हैं। जैसे:
Galaxy 15 — 2010 में बंद हुआ लेकिन कुछ महीनों बाद अपने आप पुनः सक्रिय हो गया।
AMSAT-OSCAR 7 जिसे 1974 में लॉन्च किया गया और यह 1981 में निष्क्रिय हुआ , और पुनः 2002 में सक्रिय हो गया |
इन घटनाओं से यह साफ होता है कि अंतरिक्ष में ‘मृत’ घोषित कर देना हमेशा अंतिम फैसला नहीं होता।
एक चेतावनी और एक अवसर
इस खोज ने वैज्ञानिकों को एक नई दिशा में सोचने को मजबूर कर दिया है। क्योंकि यह घटना सिर्फ एक तकनीकी जिज्ञासा नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है।
पुराने सैटेलाइट, जो मृत माने जाते हैं, वे अब भी रेडियो संकेत भेज सकते हैं, जो रेडियो टेलीस्कोप्स या संचार प्रणालियों में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
यह घटना इस बात की भी संभावना खोलती है कि ऐसे निष्क्रिय सैटेलाइट्स भविष्य में स्पेस जंक से टकराकर अनजाने प्रभाव डाल सकते हैं।