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प्लास्टिक से हाइड्रोजन? कोरिया की तकनीक अब सूरज की रौशनी से बनाएगी स्वच्छ ईंधन!


क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जो प्लास्टिक की बोतलें हर दिन हमारे घर से निकलती हैं — वही एक दिन दुनिया की सबसे साफ और टिकाऊ ऊर्जा का स्रोत बन सकती हैं?

दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने यह सपना हकीकत में बदल दिया है। उन्होंने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो सूरज की रौशनी से प्लास्टिक कचरे को हाइड्रोजन ईंधन में बदल देती है — और वो भी बिना प्रदूषण के।


फोटोकैटलिटिक हाइड्रोजन उत्पादन

इस तकनीक को कहते हैं — फोटोकैटलिटिक हाइड्रोजन उत्पादन। इसका मतलब है:
सूरज की रौशनी की मदद से पानी या अन्य रासायनिक तत्वों को तोड़कर हाइड्रोजन गैस बनाना।

हालांकि, अब तक की तकनीक में बड़ी परेशानियाँ थीं:

  • कैटलिस्ट (उत्प्रेरक) जल्दी टूट जाता था,

  • गैसें मिल जाती थीं,

  • और रिवर्स रिएक्शन (वापसी प्रतिक्रिया) से उत्पादकता घट जाती थी।

लेकिन दक्षिण कोरियन वैज्ञानिकों ने इन सभी दिक्कतों को हल कर दिया है। उन्होंने कैटलिस्ट को एक पॉलीमर नेटवर्क में स्थिर किया, जिससे वह लंबे समय तक टिकाऊ बना रहा — और इस रिएक्शन को एयर और वॉटर की सतह पर घटित कराया गया, जहां इसकी क्रिया सबसे असरदार होती है।

इस तकनीक की सबसे कमाल बात यह है कि यह सामान्य प्लास्टिक बोतलों के विघटन से बनने वाले एथिलीन ग्लाइकोल और टेरेफ्थालिक एसिड जैसे उप-उत्पादों से शुद्ध हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करती है |

यह तकनीक दो महीने तक बिना किसी गड़बड़ी के समुद्री पानी, नल के पानी और यहां तक कि क्षारीय परिस्थितियों में भी सफल रही है — जो इसकी वास्तविक दुनिया में उपयोगिता को साबित करता है।
दुनिया में हर दिन अरबों प्लास्टिक की बोतलें फेंकी जाती हैं।
कल्पना कीजिए अगर उन सभी को हाइड्रोजन ईंधन में बदला जा सके?

इस प्रणाली का स्केलेबल होना (विस्तार योग्य होना) इसकी सबसे बड़ी ताकत है|
हालाँकि अभी इसका मॉडल 1–2 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में काम करता है, लेकिन इसे 10 या 100 वर्ग मीटर तक बढ़ाया जा सकता है। जिससे कम लागत में हाइड्रोजन उत्पादन संभव हो सकेगा |


दो समस्याओं का एक समाधान

यह तकनीक न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करती है, बल्कि साथ ही हरित हाइड्रोजन का उत्पादन भी करती है — जिससे पारंपरिक ईंधन उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभावों को रोका जा सकता है।

मुख्य लाभविवरण
कचरे में कटौतीप्लास्टिक को उपयोगी गैसों में बदला जाता है
स्थायी ऊर्जा स्रोतस्वच्छ हाइड्रोजन का उत्पादन
स्केलेबिलिटीउत्पादन को बड़े स्तर पर फैलाया जा सकता है

जब कचरा ही बन जाएगा भविष्य का ईंधन

यह तकनीक न केवल ऊर्जा का स्वरूप बदल सकती है, बल्कि हमारी सोच भी बदल रही है — कि कचरा केवल बोझ नहीं, संसाधन भी बन सकता है।

“हमने एक ऐसी प्रणाली बनाई है जो न केवल प्रयोगशाला में, बल्कि असली दुनिया में भी काम करती है।”
– प्रो. ह्यॉन ताएघ्वान, प्रमुख शोधकर्ता

आज जब दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की तलाश में है और प्लास्टिक प्रदूषण से जूझ रही है, ऐसे में यह तकनीक एक सशक्त, स्वदेशी और पर्यावरण-सम्मत विकल्प बन सकती है।

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