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निओबियम फॉस्फाइड : कॉपर तेरा टाइम खत्म

  क्या आपने कभी सोचा है कि धातुएँ (metals) भी पतली होते-होते कमजोर पड़ जाती हैं? जब धातु की मोटाई कम हो जाती है, तो उसकी ताकत भी घटने लगती है। लेकिन निओबियम फॉस्फाइड (NbP) नाम की एक धातु ने इस सोच को गलत साबित कर दिया है। यह इतनी पतली होने के बावजूद बिजली को इतनी तेजी से बहने देती है कि कॉपर (तांबा) भी इसके आगे फीका पड़ जाए!

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस धातु पर रिसर्च की है, जिससे भविष्य में छोटे और ज्यादा ताकतवर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाना आसान हो सकता है।


निओबियम फॉस्फाइड की खोज

वैज्ञानिकों ने पाया कि अगर निओबियम फॉस्फाइड की मोटाई 5 नैनोमीटर से भी कम कर दी जाए, तब भी यह कॉपर से ज्यादा बिजली कंडक्ट कर सकती है। और खास बात यह है कि इसे किसी खास क्रिस्टलीन (crystalline) संरचना की जरूरत भी नहीं होती!

अब आप सोच रहे होंगे, “तो इसमें खास बात क्या है?”


समस्या क्या थी?

आजकल स्मार्टफोन्स, लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छोटे और पतले होते जा रहे हैं। इनके अंदर की तारें भी पतली हो रही हैं, लेकिन इससे एक दिक्कत हो रही थी—

  • पतली तारों में ज्यादा रेसिस्टेंस (प्रतिरोध) होता है, जिससे बिजली का बहाव धीमा हो जाता है।

  • इससे वोल्टेज ड्रॉप और सिग्नल डिले जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।

इसका हल ढूँढने के लिए वैज्ञानिकों ने निओबियम फॉस्फाइड पर रिसर्च की, और रिजल्ट चौंकाने वाले थे!


निओबियम फॉस्फाइड इतना खास क्यों है?

  1. सुपरफास्ट कंडक्टिविटी – यह धातु अपनी सतह पर बहुत तेजी से करंट को कैरी कर सकती है।

  2. पतला लेकिन ताकतवर – 5 नैनोमीटर से भी पतली NbP की फिल्म, कॉपर से बेहतर प्रदर्शन करती है।

  3. इंडस्ट्री के लिए परफेक्ट – इसे सिर्फ 400°C तापमान पर बनाया जा सकता है, जो चिप बनाने की मौजूदा तकनीकों के अनुकूल है।


इसके फायदे क्या हैं?

बेहतर परफॉर्मेंस – कम रेसिस्टेंस से इलेक्ट्रॉनिक्स की स्पीड बढ़ेगी।
कम बिजली खर्च होगी – बिजली की खपत कम होने से बैटरी ज्यादा चलेगी।
आसान इंटीग्रेशन – यह नई चिप तकनीकों के साथ आसानी से एडजस्ट हो सकता है।


कैसे हुई यह खोज?

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2022 में हुई, जब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के असिर इंतिसार खान ने IBM रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों से चर्चा की।

  • IBM पहले से ही इस तरह की धातुओं पर काम कर रहा था।

  • लेकिन इसे असल दुनिया में इस्तेमाल करना आसान नहीं था।

  • वैज्ञानिकों ने इसे सफल बनाने के लिए तापमान, दबाव और अन्य कारकों पर काम किया।

इसके बाद स्टैनफोर्ड, IBM और दक्षिण कोरिया की अजाउ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को अंजाम दिया।


भविष्य में कैसे काम आएगा?

निओबियम फॉस्फाइड आने वाले समय में टेक्नोलॉजी की दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकता है—

न्यूरोमॉर्फिक डिवाइसेज – इंसानी दिमाग जैसी सोचने वाली चिप्स।
स्पिन्ट्रॉनिक्स – चुंबकीय तरंगों से डेटा प्रोसेसिंग।
पावरफुल चिप्स – तेज़ प्रोसेसिंग और कम बिजली खपत।


हालाँकि निओबियम फॉस्फाइड ने कंडक्टिविटी की दौड़ में कॉपर को पछाड़ दिया है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने में थोड़ा समय लगेगा।

🔹 यह टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन्स, लैपटॉप, और इलेक्ट्रॉनिक्स में नई क्रांति ला सकती है।
🔹 यहाँ तक कि अंतरिक्ष और मेडिकल साइंस में भी यह बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखती है।

 

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