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Genetic Study reveals the hidden truth of human evolution

क्या आपको लगता है कि आधुनिक इंसान सिर्फ एक ही पूर्वज से विकसित हुआ है? अगर हां, तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है जो इस धारणा को पूरी तरह बदल सकती है!

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने डीएनए विश्लेषण की मदद से पता लगाया है कि आज के इंसान दो अलग-अलग प्राचीन जनसंख्याओं (Ancient Populations) के मेल से बने हैं। ये दोनों समूह लगभग 15 लाख साल पहले अलग हो गए थे और फिर 3 लाख साल पहले वापस एक हो गए।

मानव विकास के पीछे छिपी कडिया

अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि होमो सेपियंस (Homo sapiens) की शुरुआत करीब 2 से 3 लाख साल पहले अफ्रीका में हुई थी और वे सिर्फ एक ही पूर्वज समूह से विकसित हुए थे। लेकिन Nature Genetics नामक पत्रिका में प्रकाशित नई स्टडी बताती है कि इंसानों का विकास पहले सोची गई तुलना में कहीं अधिक जटिल था।

कैसे हुआ यह पता?


वैज्ञानिकों ने पुराने हड्डियों के डीएनए का अध्ययन करने के बजाय आधुनिक इंसानों के डीएनए की जाँच की। उन्होंने 1000 जीनोम प्रोजेक्ट (1000 Genomes Project) से मिले डेटा का इस्तेमाल किया, जिसमें अफ्रीका, एशिया, यूरोप और अमेरिका के लोगों के डीएनए का विश्लेषण किया गया था।

इसके लिए, वैज्ञानिकों ने COBRAA नामक एक कंप्यूटर एल्गोरिदम विकसित किया, जो यह मॉडल तैयार करता है कि प्राचीन इंसानों की जनसंख्या कैसे अलग हुई और बाद में फिर से एक हुई।

कैसा रहा इन दो समूहों का सफर?

🔹 जब ये दो प्राचीन जनसंख्या अलग हुईं, तो उनमें से एक समूह बहुत छोटा हो गया और लाखों साल तक धीरे-धीरे बढ़ा।
🔹 बाद में, यही समूह 80% आधुनिक इंसानों के डीएनए का स्रोत बना।
🔹 दूसरा समूह 20% डीएनए का स्रोत बना, लेकिन इसके जीन मुख्य रूप से ऐसे हिस्सों में मौजूद हैं जो कम महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़े हैं।

दूसरे समूह का डीएनए 

हालांकि इस छोटे समूह का डीएनए कम मात्रा में आधुनिक इंसानों तक पहुंचा, लेकिन वैज्ञानिकों को यह पता चला कि इसके कुछ जीन दिमाग और न्यूरल प्रोसेसिंग (मस्तिष्क की कार्यप्रणाली) से जुड़े थे।

इसका मतलब यह हो सकता है कि मानव बुद्धि और संज्ञानात्मक क्षमताओं (Cognitive Abilities) के विकास में इस दूसरे समूह का महत्वपूर्ण योगदान रहा होगा।

नेअंडरथल और डेनिसोवन से भी पहले हुआ यह मिलन

अब तक हम जानते थे कि इंसानों ने 50,000 साल पहले नेअंडरथल और डेनिसोवन जैसी प्रजातियों के साथ मेल किया था। लेकिन यह 3 लाख साल पुरानी घटना उससे 10 गुना बड़ी थी और सभी आधुनिक इंसानों में पाई जाती है!

भविष्य में क्या हो सकता है?

वैज्ञानिक अब इस मॉडल को और बेहतर बनाना चाहते हैं ताकि यह समझ सकें कि जनसंख्या में बदलाव अचानक हुआ या धीरे-धीरे।

साथ ही, वे यह भी देख रहे हैं कि क्या यह खोज अन्य जीवों पर भी लागू हो सकती है। जब उन्होंने चिंपैंजी, गोरिल्ला, डॉल्फ़िन और चमगादड़ों के डीएनए का अध्ययन किया, तो पाया कि कुछ प्रजातियों में भी इसी तरह की जटिलता थी।

तो, हमारे पूर्वज कौन थे?

वैज्ञानिक मानते हैं कि होमो इरेक्टस (Homo erectus) और होमो हेडलबर्गेन्सिस (Homo heidelbergensis) जैसे प्राचीन इंसानी प्रजातियाँ इस खोज से जुड़ी हो सकती हैं। लेकिन इस बारे में अभी और शोध की जरूरत है।

कैम्ब्रिज के वैज्ञानिक ऐल्विन स्कैली के शब्दों में—
“यह जानना कि हम सिर्फ डीएनए देखकर लाखों साल पुरानी घटनाओं को समझ सकते हैं, सच में अद्भुत है! यह हमें बताता है कि हमारा अतीत बहुत ही समृद्ध और जटिल है, जितना हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी।”

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