हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे, एक भव्य और रहस्यमयी संरचना है जिसमें गैस, धूल और अरबों तारे समाहित हैं। इसकी सर्पिल बाहें, केंद्रीय उभार और इसके केंद्र में स्थित महावैज्ञानिक ब्लैक होल, इसे ब्रह्मांड की सबसे आकर्षक संरचनाओं में से एक बनाते हैं। लेकिन 16 जुलाई 2025 को वैज्ञानिकों ने इस सजीव संरचना के भीतर एक और अनदेखा रहस्य उजागर किया—एक विशाल आणविक बादल, जो अब तक हमारी दृष्टि से छिपा हुआ था।
क्या है यह खोज?
नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी (NRAO) की प्रमुख खगोलशास्त्री नैटली बटरफील्ड ने इस खोज का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि यह विशाल आणविक बादल (Giant Molecular Cloud) गैलेक्टिक डिस्क (जहां तारे अपेक्षाकृत शांत वातावरण में बनते हैं) और गैलेक्टिक सेंटर (जहां परिस्थितियाँ अत्यंत उग्र और शक्तिशाली होती हैं) के बीच की सीमा पर स्थित है।
“हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि यह बादल वहां मौजूद है। जब हमने इस खास दिशा में देखा और घनी गैस का अध्ययन किया, तो हमें इसका अस्तित्व पता चला,” – बटरफील्ड
मिडपॉइंट क्लाउड: नाम में ही संकेत है
वैज्ञानिकों ने इस रहस्यमयी गैसीय संरचना को नाम दिया है “Midpoint Cloud” – क्योंकि यह मिल्की वे की सेंट्रल बार में फैली धूल की धाराओं के मध्य बिंदु पर स्थित है। बटरफील्ड के अनुसार, ये धूल धाराएं जैसे हमारी आकाशगंगा के केंद्र की ओर बहती हुई छुपी हुई नदियाँ हैं, जो गैस और धूल को ले जाती हैं। मिडपॉइंट क्लाउड इस प्रवाह का एक संक्रमण बिंदु है – जहां गैलेक्टिक डिस्क की सामान्य स्थिति से केंद्र के अत्यधिक सक्रिय वातावरण में बदलाव होता है।
यह बादल तारों के बनने की शुरुआती अवस्थाओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
कैसे हुआ यह अविष्कार?
यह खोज ग्रीन बैंक टेलीस्कोप (Green Bank Telescope, West Virginia) के माध्यम से की गई, जिसमें वैज्ञानिकों ने अमोनिया और सायनब्यूटाडायाइन जैसे अणुओं का विश्लेषण किया। ये अणु वहां मौजूद घनी गैस की पहचान करने में सहायक होते हैं।
इस शोध से पता चला कि मिडपॉइंट क्लाउड सिर्फ गैस की एक साधारण संरचना नहीं, बल्कि यह हमारी आकाशगंगा के केंद्र की बनावट और उसमें होने वाले तारों के जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया को समझने की एक कड़ी (crucial link) हो सकता है।
बादल में चल रही है एक खगोलीय हलचल
यह बादल सिर्फ एक शांत क्षेत्र नहीं है—यहां पर नई तारों का जन्म, पुराने तारों की मृत्यु और गैस के टकराव की कहानियाँ साथ-साथ चल रही हैं।
वैज्ञानिकों ने इसमें एक नया मेज़र (maser) खोजा है। यह माइक्रोवेव प्रकाश का एक सशक्त रूप होता है (लेज़र की तरह), जो अक्सर तारों के बनने के समय उत्सर्जित होता है।
बादल में गैस और धूल की गांठें भी मिलीं, जो संभवतः नए तारों के बनने की प्रक्रिया में हैं।
इनमें से एक गांठ को नाम दिया गया “Knot E”, जो अब आस-पास के उभरते तारों की ऊर्जा से क्षीण होती जा रही है।
वहीं, एक शेल (shell) भी मिला है, जो शायद किसी मरणासन्न तारे का अवशेष है।
क्या है यह खोज का महत्त्व?
लेरी मॉर्गन, सह-लेखक और ग्रीन बैंक वेधशाला से जुड़े वैज्ञानिक, कहते हैं:
“आकाशगंगाओं की सेंट्रल बार में तारे बनना अपने आप में एक पहेली है। यहां की ताकतें तारों के बनने की प्रक्रिया को दबा सकती हैं। लेकिन बार के अग्रिम सिरों पर—जहां मिडपॉइंट क्लाउड स्थित है—गैस जमा होकर तारे बनाने का काम शुरू कर सकती है।”
इस खोज ने हमें गैलेक्सी के अंदरूनी जीवन की झलक दी है—जहां गैस, धूल और समय मिलकर नए सूर्य और शायद भविष्य की सौर प्रणालियों को जन्म दे रहे हैं।
निष्कर्ष
मिडपॉइंट क्लाउड सिर्फ एक बादल नहीं, बल्कि हमारी आकाशगंगा की धड़कन का हिस्सा है—एक ऐसा स्थल जहां ब्रह्मांड के नियम बनते-बिगड़ते हैं, और जहां से एक नई पीढ़ी के तारे जन्म लेते हैं। यह खोज न केवल खगोल विज्ञान की दुनिया को एक नई दिशा देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अदृश्य भी हमारी दृष्टि का हिस्सा बन सकता है—अगर हम सही दिशा में देखें।