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James Webb ने की चौंकाने वाली खोज – युवा तारे की डिस्क में फैली क्रिस्टलीय बर्फ

क्या हमारी पृथ्वी जैसी दुनियाें ब्रह्मांड में और भी हैं, जहाँ पानी मौजूद हो सकता है? यह सवाल दशकों से वैज्ञानिकों के दिमाग में रहा है। अब, नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने इसका एक बेहद चौंकाने वाला उत्तर दिया है — वैज्ञानिकों ने हमारे सौर मंडल के बाहर एक दूरस्थ तारे के चारों ओर स्थित मलबे की परत में बर्फ के रूप में पानी की स्पष्ट और निर्णायक मौजूदगी की पुष्टि की है।


HD 181327: वो तारा जहां बर्फीला पानी छिपा था

HD 181327 नामक यह तारा, जो पृथ्वी से लगभग 155 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है, हमारे सूर्य से थोड़ा ज्यादा भारी और गर्म है। इसकी उम्र करीब 2.3 करोड़ वर्ष है, जबकि सूर्य की उम्र 4.6 अरब वर्ष है। इस युवा तारे के चारों ओर एक विशाल मलबे की परत है — कुछ-कुछ वैसी ही जैसी हमारे सौरमंडल में काइपर बेल्ट है, जिसमें बर्फीले पिंड, बौने ग्रह और धूमकेतु मौजूद हैं।

जेम्स वेब टेलीस्कोप की अविश्वसनीय इन्फ्रारेड क्षमता की मदद से वैज्ञानिकों ने इस मलबे की परत में क्रिस्टलीय पानी की बर्फ (Crystalline Water Ice) का पता लगाया। यह वही तरह की बर्फ है जो हमारे सौरमंडल में शनि की रिंग्स और काइपर बेल्ट में देखी जाती है।


बर्फ की खोज क्यों है इतनी अहम?

पानी जीवन का आधार है, लेकिन ब्रह्मांडीय पैमाने पर, बर्फ के रूप में पानी नए ग्रहों के निर्माण और जीवन की संभावना से जुड़ा हुआ है। जब युवा तारों के चारों ओर डिस्क बनती है, तो उसमें मौजूद बर्फ ग्रहों को ठोस रूप देने में मदद करती है। इसके साथ ही, बर्फीले धूमकेतु और पिंड उस पानी को भविष्य में बनने वाले ग्रहों तक पहुंचा सकते हैं।

JWST द्वारा यह खोज दर्शाती है कि:

  • पानी की बर्फ मलबे की परत में असमान रूप से फैली हुई है।

  • डिस्क के बाहरी हिस्से में तापमान कम होने के कारण 20% से अधिक क्षेत्र में बर्फ मौजूद है।

  • बीच के हिस्से में यह मात्रा घटकर 8% रह जाती है, और तारे के निकटतम हिस्से में बर्फ लगभग गायब है, शायद इसलिए क्योंकि वहाँ की तीव्र पराबैंगनी किरणें इसे वाष्पित कर देती हैं।


मलबे की परत में हो रही हैं लगातार टक्करें

HD 181327 की मलबे वाली डिस्क बेहद सक्रिय है। यहां लगातार बर्फीले पिंड आपस में टकरा रहे हैं, जिससे धूल और बर्फ के सूक्ष्म कण बनते हैं — बिलकुल वैसे जैसे “गंदे स्नोबॉल्स।” ये बर्फीले कण इतने छोटे हैं कि केवल वेब टेलीस्कोप जैसी उच्च क्षमता वाली तकनीक ही इन्हें पकड़ सकती है।

ब्रह्मांड में कई स्थानों पर बर्फीला पानी पहले से मौजूद है। यह पानी ग्रह निर्माण की प्रक्रिया को आकार देता है। भविष्य में, ऐसे ही बर्फीले पिंडों के ज़रिए जीवन के लिए ज़रूरी तत्व ग्रहों तक पहुंच सकते हैं।

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