हाल के शोध में पाया गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप की टेक्टोनिक प्लेट्स धीरे–धीरे एक खतरनाक बदलाव की ओर बढ़ रही हैं। यह प्रक्रिया हिमालय क्षेत्र में भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के धीरे–धीरे घुसने के कारण हो रही है, जिससे लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और उत्तर–पूर्वी राज्यों जैसे क्षेत्रों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रक्रिया जारी रही, तो भविष्य में भारत के नक्शे में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
यह अध्ययन चीन की ओशियन यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। इन शोधकर्ताओं ने हिमालय और तिब्बत के क्षेत्रों की टेक्टोनिक प्लेट्स का बारीकी से विश्लेषण किया। भारतीय टेक्टोनिक प्लेट्स में हो रहे बदलाव को समझने के लिए उन्होंने तिब्बत के गर्म पानी के स्रोतों में मौजूद हीलियम आइसोटोप्स (H3 और H4) का अध्ययन किया। इस अध्ययन से पता चला कि इन इलाकों का क्रस्ट असामान्य रूप से पतला हो रहा है, जिससे यहां भूकंप की घटनाओं में तेजी आई है।
भूकंप और उनके बढ़ते खतरे
2022 में सिचुआन भूकंप ने तिब्बत और भारत के सीमावर्ती इलाकों को हिलाकर रख दिया। यह भूकंप पिछले छह वर्षों में उत्तर भारत और तिब्बत में आने वाले 80% भूकंपों का हिस्सा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन भूकंपों की वजह भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स का टकराव है। लेकिन यह समस्या केवल टकराव तक सीमित नहीं है। प्लेट्स के अंदर हो रहे विभाजन ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
भविष्य की चुनौतियां और समाधान
इस विभाजन की प्रक्रिया को रोकना या बदलना मानव नियंत्रण के बाहर है, लेकिन इसके असर को कम किया जा सकता है। इसके लिए भूकंप–रोधी संरचनाओं का निर्माण, हिमालयी क्षेत्रों में बेहतर आपदा प्रबंधन, और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्राथमिकता देनी होगी। इसके साथ ही, जनसाधारण को इस खतरे के प्रति जागरूक करना और आपदा के समय त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार करना जरूरी है।
यह समस्या सिर्फ भौगोलिक नहीं है; यह लाखों लोगों के जीवन और भारत के अस्तित्व से जुड़ी है। हमें इस चुनौती का सामना करने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा।