क्या आपने कभी ऐसी स्याही के बारे में सोचा है जो रोशनी में एक चीज़ दिखाए और अंधेरे में कुछ और? अब यह कोई कल्पना नहीं रही। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ऑर्गेनिक अणु तैयार किया है, जो अंधेरे में लंबे समय तक चमकता है और खास बात यह है कि यह ध्रुवीकृत (polarised) प्रकाश भी उत्सर्जित करता है — जो कि उन्नत सुरक्षा, डिस्प्ले सिस्टम और सेंसिंग तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
अधिकतर ‘ग्लो इन द डार्क’ (Glow-in-the-dark) सामग्री इनऑर्गेनिक फॉस्फर या भारी धातु (Heavy Metal) वाले यौगिकों पर आधारित होती है। ये न केवल महंगे होते हैं, बल्कि जैविक उपयोग के लिए उपयुक्त भी नहीं होते और पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाते हैं।
IISc का समाधान: नया कार्बनिक (Organic) अणु
IISc के इनऑर्गेनिक और फिजिकल केमिस्ट्री विभाग (IPC) ने एक चिरल एमिनोबोरेन यौगिक तैयार किया है, जो पूरी तरह से धातु रहित है, रूम टेम्परेचर पर स्थिर रहता है और लंबे समय तक फॉस्फोरेसेंस (phosphorescence) देता है।
इसका मतलब यह है कि यह अंधेरे में बिना किसी ठंडक या विशेष परिस्थितियों के भी चमक सकता है।
अनोखी विशेषताएं:
✅ लंबे समय तक चलने वाली चमक (Persistent Phosphorescence)
✅ सिर्कुलर पोलराइज़्ड लाइट (CPL) का उत्सर्जन – जो सुरक्षा और 3D डिस्प्ले के लिए महत्वपूर्ण है
✅ मेटल-फ्री, पर्यावरण अनुकूल और जैव-उपयोग के लिए सुरक्षित
✅ छिपे हुए संदेश दिखाने वाली स्याही – जैसे UV रोशनी में ‘1180’ और अंधेरे में ‘IISc’
कैसे काम करता है यह अणु?
जब इस अणु पर प्रकाश डाला जाता है, तो यह ऊर्जा लेकर उत्साहित अवस्था (excited state) में चला जाता है। अधिकांश अणु जल्द ही इस ऊर्जा को गवां देते हैं और चमक नहीं पाते। लेकिन यह अणु एक खास प्रक्रिया ‘intersystem crossing’ के जरिए ट्रिपलेट अवस्था में चला जाता है – जिससे यह धीरे-धीरे ऊर्जा छोड़ता है और अंधेरे में भी दीर्घकालिक प्रकाश देता है।
इस प्रभाव को फॉस्फोरेसेंस कहा जाता है, जो आमतौर पर बहुत ठंडी स्थितियों में ही देखा जाता है। लेकिन IISc की टीम ने एक अणु संरचना तैयार की जो इतनी कठोर (rigid) है कि यह कमरे के तापमान पर भी यह कमाल दिखाती है।
B–N बॉन्ड और अनोखी डिज़ाइन:
इस अणु की बनावट में नैफ्थलीन क्रोमोफोर को बोरोन-नाइट्रोजन (B–N) धुरी के चारों ओर बंद किया गया है। यह संरचना इतनी स्थिर है कि यह अणु को झटकने या ऊर्जा खोने से बचाती है।
B–N बॉन्ड का व्यवहार C–C बॉन्ड जैसा होता है, लेकिन यह अणु को खास सिंक्रोनाइज्ड एक्साइटेड स्टेट्स देता है, जिससे फॉस्फोरेसेंस बेहतर होता है।
असली दुनिया में उपयोग:
इस तकनीक से एंटी-काउंटरफिटिंग (Anti-counterfeiting) स्याही बनाई गई है, जो दोहरी पहचान दिखाती है। जैसे:
UV लाइट में दिखाई दे: ‘1180’
अंधेरे में प्रकट हो: ‘IISc’
इस तरह की ‘टाइम-गेटेड इमेजिंग’ तकनीक से नकली उत्पादों की पहचान करना और डेटा छिपाना आसान होगा।
वैज्ञानिक अब इस अणु की उत्सर्जन क्षमता को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि इसका उपयोग बायोइमेजिंग, सुरक्षित लेबलिंग और भविष्य की फोटोनिक तकनीकों में किया जा सके।
जैसा कि प्रो. थिलागर कहते हैं,
“हम अब ऐसी ऑर्गेनिक सामग्रियाँ बना पा रहे हैं जो न केवल टिकाऊ हैं, बल्कि बहु-कार्यात्मक भी हैं।”
निष्कर्ष:
IISc की यह खोज न केवल विज्ञान में नया अध्याय जोड़ती है, बल्कि सुरक्षा, तकनीक और पर्यावरण की दृष्टि से भी एक सकारात्मक कदम है। इस अणु की चमक, न सिर्फ अंधेरे में बल्कि विज्ञान की दुनिया में भी, एक नई रौशनी ला रही है।