ऑस्ट्रेलिया के तपते रेगिस्तान और कठोर जंगलों का एक ऐसा जीव, जो न सिर्फ आदिवासी लोककथाओं का हिस्सा है, बल्कि वैज्ञानिकों की उत्सुकता का विषय भी बन गया है — यह है गोह (Monitor Lizard)। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्यमय जीव की खाल के नीचे एक और गुप्त परत खोज निकाली है — ऑस्टियोडर्म्स, यानी खाल के नीचे छिपी सूक्ष्म हड्डियाँ, जो इन जीवों को काल के थपेड़ों से बचाए रखने में सहायक हो सकती हैं।
अदृश्य कवच: हड्डी की ढाल
जहाँ पहले ये हड्डीदार संरचनाएँ केवल मगरमच्छों, आर्माडिलो और कुछ डायनासोरों (जैसे स्टेगोसॉरस) में पाई जाती थीं, वहीं अब एक नई खोज के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनी के 29 प्रजातियों की गोहों में भी इनका अस्तित्व पाया गया है — और वो भी इतनी बड़ी संख्या में कि वैज्ञानिक दंग रह गए।
“हमने अनुमान से पांच गुना अधिक गोह प्रजातियों में ऑस्टियोडर्म्स पाए,” कहते हैं रॉय एबेल, जो म्यूज़ियम्स विक्टोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता हैं।
क्या है ऑस्टियोडर्म्स ?
ये ऑस्टियोडर्म्स न तो आँखों से दिखते हैं, न ही उन्हें सामान्य जांच से पकड़ा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने माइक्रो-CT स्कैनिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके करीब 2000 सरीसृपों के नमूनों का अध्ययन किया, जिनमें कई 100 साल से भी पुराने संग्रहालयों में संरक्षित थे।
पुराने संग्रहालय नमूनों की मदद से यह साबित हुआ कि ये संरचनाएँ सिर्फ सुरक्षा कवच नहीं, बल्कि ताप नियंत्रण, हड्डियों के लिए कैल्शियम भंडारण, और यहां तक कि गतिशीलता में भी भूमिका निभा सकती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि खाल के नीचे की हड्डियाँ एक ‘जैविक बहुउपयोगी कवच’ हैं।
विकास की नई परतें
इस शोध के अनुसार, अब तक लिजार्ड्स में ऑस्टियोडर्म्स की उपस्थिति के जो आंकड़े थे, वे अधूरे थे। अब यह माना जा रहा है कि दुनिया की लगभग आधी छिपकली प्रजातियाँ ऐसी हड्डीदार संरचनाओं से सुसज्जित हैं — पहले से 85% अधिक!
डॉ. जेन मेलविल, जो म्यूज़ियम्स विक्टोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ क्यूरेटर हैं, कहती हैं:
“यह खोज हमें सरीसृपों के विकास को नए नजरिए से देखने का अवसर देती है। शायद ये ऑस्टियोडर्म्स उन्हीं पर्यावरणीय दबावों का नतीजा हैं, जिनका सामना करते हुए लिज़ार्ड्स ने खुद को ऑस्ट्रेलिया के जटिल परिदृश्य के अनुसार ढाल लिया।”