क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा ब्रह्मांड लगातार फैलता जा रहा है, और इसे फैलाने वाली ताकत – डार्क एनर्जी – क्या हमेशा एक जैसी रही है? नहीं? तो चलिए आज एक रोमांचक ब्रह्मांडीय सफर पर निकलते हैं, जहाँ कुछ नई खोजों ने विज्ञान की किताबों में दर्ज ‘तथ्यों’ को हिला कर रख दिया है।
रशियन भौतिकशास्त्री और नोबेल विजेता लेव लैंडाउ की ये लाइन आज फिर से प्रासंगिक हो गई है। दरअसल, हाल ही में DESI (Dark Energy Spectroscopy Instrument) द्वारा की गई एक खोज ने ब्रह्मांड के रहस्यों की परतों को फिर से खोल दिया है।
DESI, जो कि एरिज़ोना के Mayall Telescope पर लगाया गया है, ने 1.5 करोड़ गैलेक्सियों की स्थिति को रिकॉर्ड किया है – और ये अब तक का सबसे बड़ा थ्री-डायमेंशनल मैप है ब्रह्मांड का।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सर्वे में दर्ज सबसे दूर की गैलेक्सी से निकली रोशनी 11 अरब साल पहले चली थी, यानी उस समय ब्रह्मांड अपनी मौजूदा उम्र का केवल पांचवां हिस्सा था!
क्या डार्क एनर्जी समय के साथ बदल रही है?
DESI के वैज्ञानिकों ने एक विशेष पैटर्न पर रिसर्च की जिसे कहा जाता है – “बेरियन ध्वनिक दोलन” (baryon acoustic oscillations)।
जब उन्होंने इसे ब्रह्मांड की शुरुआत की घटनाओं और सुपरनोवा की रेकॉर्डिंग से मिलाया, तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई –
डार्क एनर्जी शायद स्थिर (constant) नहीं है, बल्कि समय के साथ बदलती रही है!
तो क्या अब नया कॉस्मोलॉजी मॉडल चाहिए?
एक पॉजिटिव सोच यह कहती है कि डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की सच्चाई हम जल्द ही खोज लेंगे। DESI की शुरुआती झलक हमें इस दिशा में कुछ उम्मीद तो देती ही है।
लेकिन… अगर हम सच्चाई तक नहीं पहुंच पाए, तो हमें ना सिर्फ अपनी रिसर्च को रिव्यू करना होगा, बल्कि कॉस्मोलॉजी की पूरी नींव को फिर से खोजना पड़ेगा।
इसका मतलब होगा –
एक ऐसा बिल्कुल नया कॉस्मोलॉजिकल मॉडल, जो आज के मॉडल जितना सटीक हो, लेकिन इन नई विसंगतियों को भी समझा सके।
🧮 दो जादुई नंबर: H₀ और q₀
1970 में एलन सैंडेज ने दो नंबरों की बात की जो ब्रह्मांड के विस्तार की समझ के लिए बेहद ज़रूरी माने जाते हैं:
H₀ (हबल कॉन्स्टेंट) – ब्रह्मांड कितनी तेजी से फैल रहा है
q₀ (डिसेलेरेशन पैरामीटर) – गुरुत्वाकर्षण ब्रह्मांड के विस्तार को कितना रोकता है
1997 तक कोई बड़ा बदलाव इस मॉडल में नहीं दिखा, जब तक कि साल पर्लमटर, एडम रीस, और ब्रायन श्मिट ने सुपरनोवा की स्टडी से एक चौंकाने वाली बात सामने नहीं लाई –
ब्रह्मांड धीमा नहीं हो रहा, बल्कि तेजी से फैल रहा है!
इस खोज के लिए उन्हें 2011 में नोबेल पुरस्कार भी मिला।
डार्क एनर्जी: ब्रह्मांड का 70% हिस्सा
डार्क एनर्जी यानी कि Λ (लैम्ब्डा), अब माना जाता है कि ये पूरे ब्रह्मांड के 70% भाग पर काबिज है और गुरुत्वाकर्षण को भी मात दे रही है।
मजेदार बात ये है कि –
हम इसके बारे में लगभग कुछ नहीं जानते!
यहां तक कि यह भी नहीं कि क्या यह वाकई में ‘कॉन्स्टेंट’ है या नहीं।
क्या डार्क एनर्जी खत्म हो सकती है?
1988 में नोबेल विजेता पी. जे. ई. पीबल्स और भरत रात्रा ने एक पेपर लिखा जिसमें यह संभावना जताई गई कि कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टेंट समय के साथ बदल सकता है।
अगर यह सच है, तो:
आज जो एक्सपेंशन हो रहा है, वह स्थायी नहीं है।
डार्क एनर्जी का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म हो सकता है।
और तब हो सकता है एक दिन सब कुछ सिकुड़ने लगे यानी कि Big Crunch – जब ब्रह्मांड वापिस सिमटना शुरू करेगा।
📡 आगे क्या?
DESI के साथ-साथ Euclid और J-PAS जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स अब इस दिशा में और रिसर्च कर रहे हैं – ताकि डार्क एनर्जी की असलियत सामने लाई जा सके।
जैसा कि Carl Sagan ने कहा था:
“असाधारण दावे के लिए असाधारण सबूत की जरूरत होती है।”
और फिलहाल, हमारे पास ऐसे कई सबूत अभी बाकी हैं।