गहरे समुद्र का संसार किसी रहस्य से कम नहीं। यहाँ के जीव न सिर्फ अपने अजीबोगरीब रूप बल्कि अपनी अनोखी विकास प्रक्रियाओं से भी हैरान करते हैं। इस दुनिया में प्रवेश करते ही आपको ऐसे जीव मिलेंगे जो शैलो पानी में मिलने वाले अपने ही कजिन्स से बिल्कुल अलग, डरावने और रहस्यमय रूप ले चुके हैं।
जैसे, शैलो पानी में रहने वाला सामान्य स्क्विड डीप सी में पहुँचकर “वैंपायर स्क्विड” के रूप में विकसित हो चुका है। इसके अलावा, यहाँ आपको ऐसे जीव भी मिलेंगे जो डरावने कम और अजीब ज्यादा लगते हैं, जैसे सारकास्टिक फ्रिंज हेड। यह छोटा सा जीव अपनी मुंह खोलने की क्षमता से बड़े से बड़े शिकारी को भी डरा सकता है।
डीप सी में सर्वाइवल का अनोखा खेल
डीप सी के जीवों का अजीब होना केवल उनकी आवश्यकता के कारण है। यहाँ अंधकार, अत्यधिक दबाव और भोजन की कमी जैसे कठोर परिस्थितियाँ उन्हें अपनी बनावट और व्यवहार को बदलने पर मजबूर करती हैं।
2018 में वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक डीप सी में एक अनोखे जीव को खोजा, जिसे “हेडलैस चिकन मॉन्स्टर” कहा गया। इस जीव की केवल एक ही ओपनिंग थी, जो सांस लेने, खाना खाने और उसे बाहर निकालने का काम करती थी। यह दिखने में किसी साधारण सी ककड़ी की तरह था, लेकिन डीप सी में रहने की जरूरतों ने इसे पूरी तरह बदल दिया था।
एवोल्यूशन की गहराई
गहराई में जाने वाले जीवों का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि वे अपने वातावरण में कैसे ढलते हैं। उदाहरण के लिए, गहरे समुद्र की ईल्स ने अपने शिकार को मजबूती से पकड़ने के लिए अपने गले तक दांत विकसित कर लिए। इसी तरह, कुछ मछलियों ने अपनी आँखों को पूरी तरह से खो दिया क्योंकि अंधेरे में उनकी जरूरत नहीं थी।
वैज्ञानिकों की रिसर्च
MIT की वैज्ञानिक सुसान लिनक्विस्ट ने “मैक्सिकन टेट्रा” मछलियों पर शोध किया, जो गहरे पानी में रहने के कारण अपनी आँखें खो चुकी थीं। उन्होंने यह पाया कि एक खास प्रोटीन HSP90 इन जीवों में म्यूटेशन का कारण बनता है। यही प्रोटीन इनके विकास को नियंत्रित करता है, जिससे वे डीप सी की कठोर परिस्थितियों के अनुसार ढल जाते हैं।