Home » बिना जैविक क्रियाओ के ऑक्सीजन की उत्पत्ति: एलियन जीवन की खोज में महत्वपूर्ण उपलब्धि

बिना जैविक क्रियाओ के ऑक्सीजन की उत्पत्ति: एलियन जीवन की खोज में महत्वपूर्ण उपलब्धि

 पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई? यह सवाल सदियों से वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को परेशान करता रहा है। हम हमेशा यही मानते आए हैं कि फोटोसिंथेसिस—पौधों और बैक्टीरिया द्वारा सूरज की रोशनी से ऑक्सीजन बनाना—जीवन का आधार है। लेकिन समुद्र की गहराइयों में डार्क ऑक्सीजन की खोज ने इस सोच को चुनौती दी है। क्या यह खोज हमें जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड में जीवन की खोज के बारे में नया दृष्टिकोण देगी? आइए, जानते हैं।

डार्क ऑक्सीजन का रहस्य

क्लरियन क्लिपरटन ज़ोन में वैज्ञानिकों ने पाया कि समुद्र तल पर मौजूद पॉलीमेटलिक नोड्यूल्स ऑक्सीजन पैदा करते हैं। वैज्ञानिको ने अपने शोध में समुद्र जैसा वातावरण बनाकर इन नोड्यूल्स को वोल्त्मीटर से जोड़ा, और नतीजे बेहद आश्चर्यजनक आये, वोल्त्मीटर पर प्राप्त विभव .98 वोल्ट मापा गया, जिससे स्पष्ट हो गया कि ये नोड्यूल्स  वास्तव में विद्युत् उत्पन्न कर रहे थे |

यह खोज इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि हम मानते थे कि ऑक्सीजन केवल सतह पर फोटोसिंथेसिस से बनता है। लेकिन अगर गहरे समुद्र में ऑक्सीजन बिना सूरज के बन सकता है, तो क्या पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत भी ऐसी ही किसी प्रक्रिया से हुई होगी?

पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत

पृथ्वी का जन्म 4.5 अरब साल पहले हुआ, और जीवन की शुरुआत 3.8-4.1 अरब साल पहले हुई। लेकिन 2.4 अरब साल पहले तक पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा सिर्फ 0.01% थी। फिर ग्रेट ऑक्सीडेशन इवेंट हुआ, जब सियानोबैक्टीरिया  जोकि फोटोसिंथेसिस से ही अपना भोजन प्राप्त करता था, धीरे -धीरे इनके संख्या में काफी वृद्धि हुई और इससे क्रिया से ऑक्सीजन के उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई  और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 21% हो गई। इस ऑक्सीजन ने नए जीवों को जन्म दिया और इस तरह ऑक्सीजन नए जीवो के जीवन में महत्वपूर्ण जरुरत बन गया|

लेकिन डार्क ऑक्सीजन की खोज बताती है कि ऑक्सीजन शायद पहले से ही गहरे समुद्र में मौजूद था। वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हाइड्रोथर्मल वेंट्स—समुद्र तल की गर्म चट्टानों—के पास हुई थी, जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती। डार्क ऑक्सीजन इस थ्योरी को और मजबूत करता है, क्योंकि यह जीवन को तेजी से विकसित करने में मदद करता है।

ब्रह्मांड में जीवन की खोज

हम हमेशा गोल्डी लॉक ज़ोन—ऐसे ग्रह, जो अपने तारे से न ज्यादा दूर हों न ज्यादा पास—में जीवन की तलाश करते हैं। हमें लगता है कि जीवन के लिए लिक्विड वॉटर, सूरज की रोशनी, और ऑक्सीजन जरूरी हैं। लेकिन डार्क ऑक्सीजन की खोज हमें बताती है कि जीवन शायद ऐसी जगहों पर भी हो सकता है, जहां सूरज की रोशनी न हो।

उदाहरण के लिए, यूरोपा (बृहस्पति का चंद्रमा) या एनसेलेडस (शनि का चंद्रमा) जैसे बर्फीले ग्रहों के नीचे लिक्विड समुद्र हैं। अगर वहां डार्क ऑक्सीजन जैसी प्रक्रिया हो, तो क्या वहां जीवन संभव है? यह खोज हमें ब्रह्मांड में जीवन की तलाश के लिए नई दिशा दे सकती है।

चुनौतियां और भविष्य

हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों ने डार्क ऑक्सीजन के शोध पर सवाल उठाए हैं। लेकिन जापान के निपॉन फाउंडेशन ने इस शोध के लिए 2 मिलियन पाउंड का ग्रांट दिया है। 2025 से शुरू हुई यह रिसर्च 2026 में 11,000 मीटर की गहराई में सैंपल लेगी और इन सवालों का जवाब ढूंढेगी। क्या आप मानते हैं कि डार्क ऑक्सीजन हमें एलियन जीवन की खोज में मदद करेगा? अपनी राय कमेंट में साझा करें!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shares
Scroll to Top