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13,000 फीट नीचे मिला जीवन का नया संकेत — बिना सूरज की रौशनी के डार्क ऑक्सीजन कैसे बन रही?

Image credit: gettyimages

समुद्र की काली, अंधेरी गहराई में, 13,000 फीट नीचे, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चीज खोजी है जिसने हमारे अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह “डार्क ऑक्सीजन” है, जो समुद्र की सतह पर पौधों या फोटोसिंथेसिस से नहीं, बल्कि एक अनजाने स्रोत से बन रहा है। इस खोज ने न केवल वैज्ञानिकों को चौंकाया, बल्कि हमें एक बड़ी चेतावनी भी दी है। आखिर क्या है यह डार्क ऑक्सीजन, और यह समुद्र की गहराई में कैसे बन रहा है?

खोज की शुरुआत

साल 2013 में, डीप-सी वैज्ञानिक एंड्र्यू स्वीटमैन और उनकी टीम ने पैसिफिक महासागर के क्लैरियन-क्लिपरटन जोन (CCZ) में गहरे समुद्र के जीवों की सेहत का अध्ययन शुरू किया। यह क्षेत्र हवाई और मेक्सिको के बीच पड़ता है और डीप-सी माइनिंग के लिए मशहूर है। स्वीटमैन को शक था कि इस क्षेत्र के जीव खतरे में हो सकते हैं। इसके लिए उन्होंने एक खास मशीन, ऑटोमेटेड सी-फ्लोर लैंडर, को 5,000 मीटर गहराई में भेजा। इस मशीन ने बेंथिक चैंबर के जरिए गहरे पानी को कैप्चर किया और ऑक्सीजन की मात्रा को मापा।

ऑक्सीजन की मात्रा घटने के बजाय लगातार बढ़ रही थी 

वैज्ञानिकों ने जो देखा, वह अविश्वसनीय था। सामान्य धारणा के विपरीत, गहरे समुद्र में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के बजाय बढ़ रही थी। कुछ जगहों पर तो सतह के पानी से भी ज्यादा ऑक्सीजन पाया गया। यह ऑक्सीजन, जिसे “डार्क ऑक्सीजन” नाम दिया गया, किसी पौधे या सूक्ष्मजीव से नहीं आ रहा था। यह खोज इतनी असामान्य थी कि स्वीटमैन और उनकी टीम को कई बार अलग-अलग उपकरणों से टेस्ट करना पड़ा। अंततः, उन्होंने पुष्टि की कि समुद्र की गहराई में कुछ ऐसा है जो इस रहस्यमयी ऑक्सीजन को उत्पन्न कर रहा है।

इस खोज का महत्व

यह डार्क ऑक्सीजन गहरे समुद्र के जीवों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। क्या ये जीव इस ऑक्सीजन पर निर्भर हैं? क्या इसने उनके विकास में कोई भूमिका निभाई है? 

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