विज्ञान और टेक्नोलॉजी का यह ऐसा युग है जहां असंभव लगने वाले काम संभव हो रहे हैं। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (Brain Computer Interface – BCI) एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जो एक अंधे व्यक्ति को देखने, गूंगे व्यक्ति को बोलने और अल्जाइमर्स के मरीजों को अपनी यादों को सहेजने का मौका देती है। अगले कुछ वर्षों में यह तकनीक हमारी जिंदगी का हिस्सा बन सकती है।
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस: क्या है यह तकनीक?
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस एक ऐसा सिस्टम है जो मानव मस्तिष्क के न्यूरल सिग्नल्स को रिकॉर्ड करता है और उन्हें कंप्यूटर में ट्रांसलेट करता है। इससे व्यक्ति अपनी सोच के जरिए कंप्यूटर को कमांड दे सकता है।
एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति, ग्रेम फेलस्टेड, ने इस तकनीक की मदद से इंटरनेट पर ब्राउजिंग और चैटिंग केवल अपनी सोच से की।
बीसीआई की शुरुआत और विकास
2000 के दशक की शुरुआत में तीन मुख्य खिलाड़ी इस तकनीक को विकसित करने के लिए मैदान में उतरे:
पहले वैज्ञानिक: 2011 से बीसीआई चिप पर काम कर रहे थे और 2015 में उन्होंने “न्यूरोलिंक” नामक कंपनी बनाई।
सिंक्रोन: 2012 में स्थापित यह कंपनी बीसीआई तकनीक को व्यावसायिक रूप से विकसित करने की दिशा में अग्रसर थी।
इलन मस्क: 2016 में इलन मस्क ने अपनी कंपनी न्यूरोलिंक की स्थापना की। उनके पास बिजनेस माइंडसेट, फंडिंग और विजन था, लेकिन तकनीक नहीं थी।
इलन मस्क का सफर: कैसे बने अग्रणी?
इलन मस्क ने एक अलग रणनीति अपनाई। उन्होंने न्यूरोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिसिन के क्षेत्र में 1000 से अधिक कैंडिडेट्स का इंटरव्यू लिया और उनमें से 8 विशेषज्ञों की टीम बनाई। यह टीम इतनी कुशल थी कि एक साल के भीतर उन्होंने एक एन1 चिप तैयार कर दी और इसे सफलतापूर्वक एक बंदर के दिमाग में इंप्लांट किया। यह बंदर केवल अपनी सोच से कंप्यूटर गेम खेलने में सक्षम हो गया।
न्यूरोलिंक बनाम सिंक्रोन
जहां न्यूरोलिंक N1 चिप पर काम कर रहा था, वहीं सिंक्रोन ने एक अलग दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने “स्टेंट रोड” नामक तकनीक विकसित की, जिसे दिमाग की रक्त वाहिकाओं में इंप्लांट किया जा सकता है। इस तकनीक की खासियत यह है कि इसे लगाने के लिए किसी ब्रेन सर्जरी की जरूरत नहीं होती।
बीसीआई का उपयोग और संभावनाएं
पैरालाइज्ड मरीजों के लिए वरदान: न्यूरोलिंक की चिप की मदद से पैरालाइज्ड व्यक्ति अब केवल सोच के जरिए कंप्यूटर ऑपरेट कर सकते हैं।
बायोनिक आई: यह तकनीक पूरी तरह से नेत्रहीनों को देखने में मदद कर सकती है। बायोनिक आई में एक रिकॉर्डिंग कैमरा से लैस चश्मा होता है, जो डेटा को न्यूरोलिंक चिप तक पहुंचाता है। यह चिप ब्रेन में सिग्नल भेजती है, जिससे नेत्रहीन व्यक्ति एक डॉटेड इमेज देख सकता है।
अन्य विकलांगताओं का समाधान: वैज्ञानिक बीसीआई की मदद से अन्य प्रकार की विकलांगताओं का भी इलाज करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
तकनीक की कार्यप्रणाली
- मस्तिष्क के न्यूरल सिग्नल्स को रिकॉर्ड करने के लिए इलेक्ट्रोड्स लगाए जाते हैं।
- ये सिग्नल्स डिजिटल कोड (0 और 1) में बदलकर कंप्यूटर को भेजे जाते हैं।
- कंप्यूटर इन कोड्स को प्रोसेस करके निर्देशों में बदलता है।
भविष्य की चुनौतियां और उम्मीदें
इस तकनीक के व्यवसायीकरण के लिए कई चुनौतियां हैं, जैसे कि इसके इंप्लांटेशन की लागत, सुरक्षा और नैतिक मुद्दे। लेकिन अगर ये समस्याएं हल हो जाती हैं, तो बीसीआई न केवल विकलांगों के जीवन में क्रांति ला सकता है, बल्कि भविष्य में इंसानों और मशीनों के बीच एक नई कड़ी जोड़ सकता है।
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस जैसी तकनीकें यह साबित करती हैं कि मानव मस्तिष्क की क्षमता असीमित है। यह तकनीक न केवल विकलांगों के लिए वरदान है, बल्कि मानवता के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलती है।