क्या है बायोफोटॉन्स का रहस्य?
हमारा शरीर एक रहस्यमयी दुनिया है, जो न केवल भौतिक रूप से बल्कि ऊर्जा के स्तर पर भी काम करता है। वैज्ञानिकों ने पिछले कुछ दशकों में यह खोज की है कि जीवित कोशिकाएं बहुत ही कम मात्रा में प्रकाश, जिसे बायोफोटॉन्स कहते हैं, उत्सर्जित करती हैं। लेकिन यह प्रकाश क्या है, और इसका हमारे जीवन से क्या संबंध है? चलिए समझते है |
बायोफोटॉन्स की खोज
- प्रारंभिक विचार: 1920 के दशक में रूसी जीवविज्ञानी अलेक्जेंडर गुरविच ने सबसे पहले यह विचार रखा कि कोशिकाएं एक प्रकार की अदृश्य किरण उत्सर्जित करती हैं, जिसे उन्होंने माइटोजेनेटिक रेडिएशन नाम दिया। उनका मानना था कि यह किरण कोशिकाओं को विभाजन और विकास के लिए संकेत देती है।
- प्रारंभिक प्रयोग: गुरविच ने प्याज की जड़ों पर प्रयोग किए, जहां उन्होंने देखा कि एक जड़ की कोशिकाएं दूसरी जड़ की कोशिकाओं को बिना किसी रासायनिक संपर्क के विकास के लिए प्रेरित कर रही थीं। यह एक क्रांतिकारी खोज थी, लेकिन उस समय इसे सिद्ध करना मुश्किल था।
- वैज्ञानिक संदेह: कई वैज्ञानिकों को गुरविच की खोज पर संदेह था क्योंकि उनके प्रयोगों के परिणाम असंगत थे, और उस समय तकनीक इतनी उन्नत नहीं थी कि इस प्रकाश को स्पष्ट रूप से मापा जा सके।
आधुनिक तकनीक और नई खोज
- फोटॉन काउंटर का आविष्कार: 1960 के दशक में फोटॉन काउंटर मल्टीप्लायर जैसे उपकरणों ने वैज्ञानिकों को कम तीव्रता वाले प्रकाश को मापने में मदद की। गुरविच की बेटी, एना गुरविच, ने इन उपकरणों का उपयोग करके पौधों की कोशिकाओं से निकलने वाले प्रकाश को मापा।
- अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम: यह पाया गया कि यह प्रकाश 200-300 नैनोमीटर की रेंज में होता है, जो हमारी आंखों को दिखाई नहीं देता। यह प्रकाश इतना कमजोर होता है कि इसे केवल विशेष उपकरणों से ही मापा जा सकता है।
बायोफोटॉन्स का महत्व
- स्वास्थ्य और बीमारी: वैज्ञानिकों का मानना है कि बायोफोटॉन्स कोशिकाओं के बीच संचार का एक तरीका हो सकते हैं। इनके पैटर्न में बदलाव बीमारियों, जैसे कैंसर, का संकेत दे सकते हैं।
- नई संभावनाएं: इस खोज ने चिकित्सा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोली हैं, जहां इस प्रकाश का उपयोग बीमारियों को जल्दी पहचानने में किया जा सकता है।
यह खोज हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारा शरीर केवल मांस और हड्डियों का नहीं, बल्कि एक जटिल ऊर्जा प्रणाली का भी हिस्सा है।