क्या आप जानते हैं कि अंटार्कटिका, जो सालों से बर्फ की मोटी चादर से ढका हुआ है, उसके नीचे एक बेहद पुराना और रोमांचक भूवैज्ञानिक इतिहास छिपा है? हाल ही में वैज्ञानिकों ने ट्रांसअंटार्कटिक पर्वतों (Transantarctic Mountains) के नीचे दबी ज़मीन की कुछ चौंकाने वाली परतों का अध्ययन किया है — और नतीजे हैरान करने वाले हैं।
किसने किया यह खोज?
यह शोध अमेरिका की University of Wisconsin–Oshkosh और University of Colorado Boulder के वैज्ञानिकों की एक संयुक्त टीम ने किया है। उन्होंने अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे छिपी चट्टानों, विशेष रूप से ग्रेनाइट जैसी आग्नेय चट्टानों का गहन विश्लेषण किया।
इनकी खोज को इतनी अहमियत दी गई कि इसे प्रतिष्ठित जर्नल Earth and Planetary Science Letters में प्रकाशित किया गया।
ट्रांसअंटार्कटिक पर्वत क्या हैं?
ट्रांसअंटार्कटिक पर्वत लगभग 3500 किलोमीटर लंबी एक पर्वतीय शृंखला है, जो अंटार्कटिका के लगभग बीचों-बीच फैली हुई है। इनमें से कई पर्वत 4500 मीटर से भी ऊँचे हैं। ये पर्वत पूर्वी अंटार्कटिका और रॉस सागर (Ross Sea) के बीच की बर्फ को बहने से रोकते हैं।
हालांकि, अब तक यह रहस्य बना हुआ था कि ये पर्वत कब और कैसे बने, और इनके नीचे की ज़मीन का अतीत क्या रहा है।
वैज्ञानिकों ने क्या पता लगाया?
शोधकर्ताओं ने चट्टानों में मौजूद खनिजों की रासायनिक संरचना का विश्लेषण किया। इससे यह सामने आया कि इन पर्वतों की नींव रखने वाली ज़मीन करोड़ों सालों में कई बार ऊपर उठी और घिस गई।
इन बदलावों का मुख्य कारण था प्लेट टेक्टोनिक्स — यानी पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियाँ। इन्हीं हलचलों की वजह से कुछ बहुत पुरानी चट्टानों के निशान भी मिट गए।
क्या 300 मिलियन साल पुरानी बर्फ थी?
इस रिसर्च से एक और चौंकाने वाली बात सामने आई: करीब 30 करोड़ साल पहले अंटार्कटिका में एक बर्फीला युग (glacial period) रहा होगा। उस दौरान भी संभवतः बर्फ आई और फिर पिघलती रही — कुछ वैसा ही जैसा आज ग्लेशियरों के साथ होता है।
इस खोज से यह समझने में मदद मिलती है कि अंटार्कटिका का पुराना भूगोल आज के मौसम, ग्लेशियरों और समुद्री धाराओं पर किस तरह असर डालता है। साथ ही, यह रिसर्च यह भी बताती है कि पृथ्वी का वायुमंडलीय और समुद्री सिस्टम समय के साथ कैसे बदलता रहा है।