
जब भी हम रात के आकाश को देखते हैं, तो हमें तारे, ग्रह और आकाशगंगाएँ दिखाई देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो कुछ भी हम देख पाते हैं, वो इस पूरे ब्रह्मांड का केवल 5% हिस्सा है? बाकी 95% ब्रह्मांड बना है ऐसे रहस्यमयी तत्वों से, जिन्हें हम न तो देख सकते हैं और न ही सीधे महसूस कर सकते हैं — इन्हें कहते हैं डार्क मैटर (Dark Matter) और डार्क एनर्जी (Dark Energy)।
अब, ब्रह्मांड की इस अदृश्य दुनिया को समझने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है।
साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की नई खोज
ब्राज़ील की University of São Paulo के कुछ भौतिकविदों ने डार्क मैटर के व्यवहार पर एक नया मॉडल प्रस्तुत किया है, जो डार्क एनर्जी की उपस्थिति में भी काम करता है — और खास बात यह है कि यह मॉडल अब तक की खगोलीय टिप्पणियों (astronomical observations) से पूरी तरह मेल खाता है।
यह मॉडल न केवल डार्क मैटर की प्रकृति को नए तरीके से समझाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब तक हम इसे क्यों नहीं देख पाए हैं।
डार्क मैटर: भारी और स्थिर, लेकिन जन्म एक अस्थिर पार्टिकल से
वैज्ञानिकों ने जो नया मॉडल पेश किया है, उसके अनुसार डार्क मैटर (DM) दरअसल किसी हल्के लेकिन अस्थिर कण (particle) से जन्म लेता है। ये अस्थिर कण (जैसे χ2) एक समय के बाद विलीन हो जाते हैं — लेकिन अपने पीछे एक भारी और स्थायी डार्क मैटर कण (जैसे χ1) छोड़ जाते हैं, जो आज भी ब्रह्मांड में मौजूद है।
इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में “थर्मल फ्रीज़-आउट (Thermal Freeze-out)” कहते हैं — यानी ब्रह्मांड की शुरुआत में तापमान और घनत्व इतने अधिक थे कि डार्क मैटर बना, और फिर धीरे-धीरे यह “फ्रीज़” हो गया, यानि अपनी मौजूदा अवस्था में जम गया।
ZQ: वह अदृश्य पुल जो दो दुनियाओं को जोड़ता है
इस मॉडल का सबसे दिलचस्प पहलू है एक हल्का वेक्टर माध्यम (light vector mediator) — जिसे ZQ नाम दिया गया है। यह ZQ डार्क मैटर और हमारी ज्ञात दुनिया (Standard Model) के बीच “दरवाज़ा” या “पोर्टल” जैसा काम करता है।
ZQ के ज़रिए डार्क मैटर और सामान्य पदार्थ के बीच सूक्ष्म स्तर पर कुछ-कुछ संपर्क होता है — इतना कम कि हमें आज तक इसका पता नहीं चला। लेकिन अब वैज्ञानिक मानते हैं कि इसी दरवाज़े के जरिए हम डार्क मैटर को पहचान सकते हैं।
क्यों नहीं दिखता डार्क मैटर?
अब तक कई महंगे और संवेदनशील यंत्रों से डार्क मैटर को खोजने की कोशिशें की गई हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस नए मॉडल के मुताबिक, इसका एक कारण यह हो सकता है कि डार्क मैटर ऐसे कणों में बदलता है जो Cosmic Background Radiation (CBR) को प्रभावित नहीं करते। यानी ये परिवर्तन कोई सीधा प्रकाशीय या तापीय संकेत नहीं छोड़ते, जिससे हम इन्हें आज तक देख नहीं पाए।
अब खोज का रास्ता बदलेगा: “डिस्कवरी फ्रंटियर” से “इंटेंसिटी फ्रंटियर” की ओर
इस अध्ययन का सुझाव है कि डार्क मैटर की खोज के लिए हमें केवल संवेदनशीलता बढ़ाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए (Discovery Frontier), बल्कि हमें सूक्ष्म असमानताओं (anomalies) को पहचानने के लिए अधिक सटीक मापन करने की दिशा में बढ़ना होगा (Intensity Frontier)।
यानी अब हमें डार्क मैटर को पकड़ने के लिए उस तरह की रणनीति अपनानी होगी, जैसे हम किसी जासूस की तरह छोटे सुरागों को जोड़कर रहस्य सुलझाते हैं।
भविष्य की खोज और नई उम्मीदें
इस शोध को प्रकाशित किया गया है Journal of High Energy Physics में और इसके लेखक मानते हैं कि यह मॉडल भविष्य में पार्टिकल फिजिक्स की परिभाषा बदल सकता है। अब वैज्ञानिक एक ऑनलाइन टूल भी विकसित कर रहे हैं जिससे आने वाले प्रयोगों में इस मॉडल को और बेहतर तरीके से जांचा जा सके।
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी अभी भी एक रहस्य हैं, लेकिन ऐसे नए मॉडल यह दिखाते हैं कि इंसान का विज्ञान इस रहस्य की परतों को धीरे-धीरे खोल रहा है। अगर यह मॉडल सही साबित होता है, तो हम ब्रह्मांड को पहले से कहीं ज़्यादा गहराई से समझ सकेंगे — और शायद यह भी जान सकेंगे कि हम इस अनंत सृष्टि में कहां खड़े हैं।

