अमेरिकी शोधकर्ताओं ने दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर विकसित किया है, जो अस्थायी रूप से हृदय गति को नियंत्रित करने वाले मरीजों के लिए बनाया गया है। यह उपकरण इतना सूक्ष्म है कि सिरिंज की नोक में आसानी से समा सकता है—चावल के एक दाने से भी छोटा!
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियर्स द्वारा विकसित यह पेसमेकर शरीर में बिना किसी जटिल सर्जरी के इंजेक्ट किया जा सकता है। नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, यह उपकरण विशेष रूप से उन शिशुओं के लिए डिज़ाइन किया गया है जिन्हें सर्जरी के बाद कुछ दिनों के लिए पेसमेकर की आवश्यकता होती है। पारंपरिक पेसमेकर्स के विपरीत, जिन्हें निकालने के लिए दूसरी सर्जरी की जरूरत पड़ती है, यह उपकरण अपना काम पूरा होने पर शरीर में ही घुल जाता है।
“यह दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है”
image : John A. Rogers
इस उपकरण के विकास का नेतृत्व करने वाले जॉन ए. रॉजर्स (बायोइलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञ) ने कहा, “हमने जो तकनीक बनाई है, वह शिशुओं की हृदय सर्जरी के लिए क्रांतिकारी साबित होगी। छोटे आकार का होना यहाँ सबसे महत्वपूर्ण है।“
कार्डियोलॉजिस्ट इगोर एफिमोव ने बताया, “हमारा मुख्य फोकस बच्चों पर था। लगभग 1% शिशु जन्मजात हृदय दोष के साथ पैदा होते हैं, लेकिन ज्यादातर को सर्जरी के बाद केवल कुछ दिनों के लिए पेसमेकर की जरूरत होती है। 7-10 दिनों में उनका दिल खुद ठीक हो जाता है। यह छोटा पेसमेकर उसी क्रिटिकल समय में उनकी मदद करेगा, बिना दूसरी सर्जरी के।“
कैसे काम करता है यह नन्हा पेसमेकर?
इस डिवाइस को चलाने के लिए छाती पर एक लचीला वायरलेस पैच लगाया जाता है। जब यह पैच अनियमित हृदय गति को पकड़ता है, तो पेसमेकर को लाइट सिग्नल भेजता है, जो उसे एक्टिवेट कर देता है।
इसकी हल्की प्रकाश तरंगें त्वचा और मांसपेशियों से गुजरकर हृदय की धड़कन को नियंत्रित करती हैं। पेसमेकर को शरीर के तरल पदार्थों से एनर्जी मिलती है, जिससे यह बिना तारों के सुरक्षित तरीके से काम करता है। पुराने मॉडल्स रेडियो सिग्नल पर निर्भर थे, लेकिन इस नए डिवाइस ने लाइट-बेस्ड टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अपने आकार को और भी छोटा बना लिया है।
रॉजर्स ने समझाया, “हमने लाइट सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिससे पेसमेकर को ऑन-ऑफ किया जा सके। इससे हम इसका साइज़ बेहद कम कर पाए।”
शोधकर्ताओं ने इसका परीक्षण जानवरों और दान किए गए मानव हृदय पर किया, जहाँ यह सफल रहा।
यह तकनीक नवजात शिशुओं के अलावा बड़ों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। डॉक्टर्स हृदय के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ कई पेसमेकर्स लगाकर धड़कनों को सिंक्रोनाइज़ कर सकते हैं। इसके अलावा, यह आर्टिफिशियल हार्ट वाल्व के साथ भी काम कर सकता है, जिससे जटिलताओं को रोका जा सके।
रॉजर्स के अनुसार, “यह टेक्नोलॉजी नई संभावनाएँ खोलती है। इसका उपयोग न सिर्फ हृदय रोगों में, बल्कि नसों, हड्डियों और यहाँ तक कि दर्द प्रबंधन में भी किया जा सकता है।”
भविष्य में और टेस्टिंग के बाद, यह नन्हा पेसमेकर नवजातों और वयस्कों दोनों के लिए एक सुरक्षित और कारगर उपचार बन सकता है।