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अंतरिक्ष में हड्डियों की कमजोरी: NASA की स्टडी से हुआ चौंकाने वाला खुलासा!

क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में महीनों बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों की घनत्व (bone density) इतनी तेजी से घटती है कि वे शायद कभी पूरी तरह ठीक न हो पाएं? 🌍➡️🌌

NASA की एक नई स्टडी ने इस रहस्य पर रोशनी डाली है, और इसके नतीजे वाकई चौंकाने वाले हैं!


माइक्रोग्रैविटी में हड्डियों पर असर

हममें से कई लोग सोचते हैं कि माइक्रोग्रैविटी (microgravity) यानी गुरुत्वाकर्षण की कमी हड्डियों के लिए आरामदायक हो सकती है, क्योंकि वे अपने भार से मुक्त हो जाती हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 37 दिन बिताने वाले चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला कि उनके हड्डियों में बड़े-बड़े छेद हो गए, खासतौर पर उनके हिंड लिंब फेमर (hindlimb femurs) यानी जांघ की हड्डियों में। इसके विपरीत, उनकी रीढ़ की हड्डी (lumbar spine) को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।

अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हुआ?

क्या कारण हो सकते हैं?

शोधकर्ताओं के अनुसार, हड्डियों में यह कमी किसी अंतरिक्ष विकिरण (space radiation), धूप की कमी या किसी अन्य प्रणालीगत कारण की वजह से नहीं होती। बल्कि, इसका असली कारण वजन सहन करने वाली हड्डियों (weight-bearing bones) का उपयोग कम हो जाना हो सकता है।

हमारे शरीर में जो हड्डियां धरती पर भार सहन करती हैं, वे ही अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा कमजोर हो जाती हैं। शायद यह कुछ “Use it or lose it” सिद्धांत की तरह है – अगर हड्डियों पर भार नहीं पड़ेगा, तो वे कमजोर होने लगेंगी।

वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में “ग्राउंड कंट्रोल” के तौर पर कुछ चूहों को पृथ्वी पर रखा और उन्हें अंतरिक्ष जैसा वातावरण देने के लिए सीमित मूवमेंट वाले पिंजरे में रखा गया।

नतीजा: जो चूहे पृथ्वी पर थे, उनकी हड्डियों में भी कुछ नुकसान हुआ, लेकिन यह माइक्रोग्रैविटी में रहने वाले चूहों के मुकाबले बेहद कम था।

इससे यह निष्कर्ष निकला कि अंतरिक्ष में हड्डियों पर भार का ना पड़ना ही उनके कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है।


क्या स्पेस रेडिएशन (Radiation) से हड्डियां कमजोर होती हैं?

अगर अंतरिक्ष में मौजूद आयनिक विकिरण (ionizing radiation) हड्डियों के नुकसान का कारण होता, तो वैज्ञानिकों को हड्डियों के बाहरी कठोर हिस्से में सबसे ज्यादा असर दिखता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

ISS पर रहने वाले चूहों में हड्डियां अंदर से बाहर की ओर खराब हो रही थीं।

मतलब, हड्डियों का घनत्व कम हो रहा था, और उनका “स्पॉन्जी” हिस्सा सिकुड़ रहा था। इसी वजह से फीमर (Femur) यानी जांघ की हड्डी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई।

एक और चौंकाने वाली बात यह थी कि जिन चूहों की हड्डियां अभी बढ़ रही थीं, वे समय से पहले कठोर (ossified) होने लगीं, जिससे उनकी हड्डियों का विकास रुक सकता है।


अंतरिक्ष यात्रियों पर क्या असर होगा?

अगर कोई इंसान 6 महीने तक ISS में रहे, तो उसकी हड्डियों में दशकों की उम्र बढ़ने जितनी कमी आ सकती है
 हर महीने हड्डियों की घनत्व 1% या उससे ज्यादा कम हो जाती है – यह धरती पर ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के मुकाबले 10 गुना ज्यादा तेज है!
 इसका सबसे ज्यादा असर फीमर (Femur) और अन्य लंबी हड्डियों पर पड़ता है, जिससे फ्रैक्चर (Fracture) का खतरा बढ़ जाता है।


तो समाधान क्या हो सकता है?

अगर हड्डियों की कमजोरी का कारण भोजन या विटामिन की कमी नहीं है, तो इसका समाधान भी अलग तरह से खोजना होगा।

🚀 संभावित उपाय:
ट्रेडमिल (Treadmill) और हार्नेस (Harness) – ऐसा ट्रेडमिल जिसमें अंतरिक्ष यात्री को नीचे की ओर दबाकर रखा जाए, ताकि उनके पैरों की हड्डियों पर भार पड़ता रहे।
वेट लिफ्टिंग (Weight Lifting) के जैसे डिवाइस – ऐसी मशीनें जो हड्डियों पर भार डालने का काम करें, जिससे वे मजबूत बनी रहें।

NASA इस समस्या पर और गहराई से अध्ययन कर रहा है, ताकि चंद्रमा (Moon) और मंगल (Mars) जैसे मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके।

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए हड्डियों की सेहत एक गंभीर चिंता का विषय है। अगर भविष्य में हमें चंद्रमा या मंगल पर बसना है, तो हमें इस समस्या का समाधान निकालना ही होगा।

इस स्टडी से न केवल अंतरिक्ष मिशनों के लिए, बल्कि पृथ्वी पर भी ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों को समझने में मदद मिलेगी।

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