क्वांटम कंप्यूटिंग को भविष्य की क्रांतिकारी तकनीक माना जाता है। इसकी अविश्वसनीय गति और क्षमता के बावजूद, यह एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही है – त्रुटियों (errors) को प्रभावी ढंग से सुधारना।
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (UNSW) के शोधकर्ताओं ने इस समस्या को हल करने के लिए श्रोडिंगर की बिल्ली (Schrödinger’s Cat) के विचार प्रयोग को वास्तविक दुनिया में लागू किया है। यह खोज क्वांटम कंप्यूटरों को व्यावहारिक और उपयोगी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
क्वांटम कंप्यूटिंग: कैसे करता है काम
क्वांटम कंप्यूटिंग पारंपरिक कंप्यूटरों से पूरी तरह अलग है।
जहां पारंपरिक कंप्यूटर बिट्स (0 और 1) पर काम करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर ‘क्विबिट्स’ (qubits) का उपयोग करते हैं।
क्विबिट्स एक विशेष स्थिति में हो सकते हैं जिसे सुपरपोजिशन (superposition) कहते हैं। इसका मतलब यह है कि क्विबिट्स एक साथ 0 और 1 दोनों स्थितियों में हो सकते हैं।
इस तकनीक से क्वांटम कंप्यूटर एक समय में असंख्य गणनाएं कर सकते हैं, जिससे उनकी गति पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में हजारों गुना तेज होती है।
हालांकि, इस प्रक्रिया का एक नकारात्मक पहलू भी है – त्रुटियों का तेजी से बढ़ना। यही कारण है कि वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से त्रुटि सुधार (error correction) के प्रभावी तरीकों पर काम कर रहे हैं।
श्रोडिंगर की बिल्ली: क्वांटम भौतिकी का प्रसिद्ध प्रयोग
1935 में, ऑस्ट्रियाई भौतिक विज्ञानी एरविन श्रोडिंगर (Erwin Schrödinger) ने क्वांटम भौतिकी में सुपरपोजिशन की अवधारणा को समझाने के लिए श्रोडिंगर की बिल्ली नामक विचार प्रयोग प्रस्तुत किया।
इस प्रयोग में, एक बिल्ली को एक डिब्बे में बंद किया जाता है, जिसमें एक ऐसा तंत्र होता है जो उसे मार सकता है।
डिब्बा खोले बिना यह तय करना असंभव है कि बिल्ली जिंदा है या मर चुकी है। इसलिए, डिब्बा खोलने तक बिल्ली दोनों स्थितियों में होती है – जिंदा भी और मृत भी।
श्रोडिंगर की बिल्ली और क्वांटम कंप्यूटिंग का कनेक्शन
UNSW के प्रोफेसर एंड्रिया मोरेलो ने इस विचार प्रयोग का उपयोग करके क्वांटम कंप्यूटिंग में त्रुटियों को सुधारने का एक अनोखा तरीका विकसित किया है।
उन्होंने एंटिमनी (antimony) नामक एक भारी तत्व के परमाणु को क्विबिट के रूप में इस्तेमाल किया।
आम तौर पर, क्वांटम कंप्यूटिंग में ‘अप’ और ‘डाउन’ स्पिन का उपयोग ऑन (1) और ऑफ (0) के रूप में किया जाता है। लेकिन जब यह स्पिन अचानक बदलता है, तो सिस्टम में तार्किक त्रुटियां (logical errors) उत्पन्न होती हैं।
एंटिमनी का परमाणु, जिसकी स्पिन आठ अलग–अलग दिशाओं में हो सकती है, इस समस्या का समाधान प्रदान करता है।
प्रोफेसर मोरेलो ने इसे समझाने के लिए श्रोडिंगर की बिल्ली के उदाहरण का इस्तेमाल किया:
“अगर 0 को मृत बिल्ली और 1 को जीवित बिल्ली मानें, तो एंटिमनी का बड़ा स्पिन यह सुनिश्चित करता है कि सात लगातार त्रुटियां होने के बाद ही 0 से 1 में बदलाव होगा।“
त्रुटि सुधार की नई पद्धति: स्केलेबल और प्रभावी
प्रोफेसर मोरेलो और उनकी टीम ने एंटिमनी के परमाणु को सिलिकॉन क्वांटम चिप में एम्बेड किया।
इस चिप ने न केवल क्लासिकल बाइनरी कोड में जानकारी को एन्कोड किया, बल्कि त्रुटियों को पहचानने और उन्हें ठीक करने का भी एक सरल तरीका प्रदान किया।
अगर कोई त्रुटि होती है, तो टीम इसे पहचान सकती है और इसे बढ़ने से पहले सुधार सकती है।
प्रोफेसर मोरेलो इसे समझाते हुए कहते हैं:
“यह वैसा है जैसे हमारी बिल्ली घर लौटती है और उसके चेहरे पर खरोंच होती है। वह मरी नहीं है, लेकिन हमें पता चल जाता है कि वह झगड़े में फंसी थी। अब हम यह पता कर सकते हैं कि यह झगड़ा किसने शुरू किया और इसे दोबारा होने से रोक सकते हैं।“
क्वांटम कंप्यूटिंग का भविष्य: स्थिरता और व्यावहारिकता की ओर
यह खोज क्वांटम कंप्यूटरों को स्थिर और स्केलेबल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अब, त्रुटि सुधार की इस नई तकनीक के जरिए, क्वांटम कंप्यूटर न केवल तेज और सटीक होंगे, बल्कि वे वास्तविक दुनिया में अधिक उपयोगी भी बनेंगे।