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मानव ह्रदय , ह्रदय कोशिकाओ को पुनर्जीवित कर सकता है :

हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि कुछ मरीजों में हृदय की मांसपेशियाँ खुद को पुनर्जीवित कर रही हैं। यह खोज हृदय विफलता (Heart Failure) के इलाज में एक नई दिशा दिखा सकती है और संभवतः स्थायी समाधान की ओर ले जा सकती है।


हृदय रोगों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव

वर्तमान में, हृदय विफलता का कोई स्थायी इलाज नहीं है। गंभीर मामलों में हृदय प्रत्यारोपण (Heart Transplant) या कृत्रिम हृदय (Artificial Heart) का सहारा लिया जाता है।

एक महत्वपूर्ण तकनीक है लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (LVAD), जो हृदय की बाईं निलय (Left Ventricle) को रक्त पंप करने में मदद करता है। यह उन मरीजों के लिए उपयोगी होता है जिनका हृदय इतना कमजोर हो गया हो कि वह पर्याप्त रक्त प्रवाह बनाए न रख सके।


LVAD कैसे काम करता है?

यह उपकरण हृदय के बाएँ निलय से रक्त खींचकर उसे शरीर की मुख्य धमनियों में पंप करता है। इसे आमतौर पर हृदय प्रत्यारोपण से पहले या उन मरीजों में लगाया जाता है जो प्रत्यारोपण के लिए योग्य नहीं होते।

LVAD न केवल जीवन की गुणवत्ता बढ़ाता है बल्कि हृदय को “आराम” देकर उसकी मांसपेशियों के पुनर्जीवन में भी मदद कर सकता है।


शोध और इसके निष्कर्ष

शोधकर्ताओं ने कृत्रिम हृदय वाले मरीजों के ऊतकों का गहराई से अध्ययन किया और कार्बन डेटिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया।

मुख्य निष्कर्ष:

  1. कृत्रिम हृदय वाले मरीजों में हृदय की मांसपेशियाँ स्वस्थ हृदय की तुलना में छह गुना तेजी से पुनर्जीवित हो रही थीं।
  2. यह साबित करता है कि मानव हृदय में खुद को पुनर्जीवित करने की प्राकृतिक क्षमता होती है।
  3. LVAD जैसे उपकरण हृदय को “आराम” देते हैं, जिससे पुनर्जीवन की प्रक्रिया तेज हो सकती है।
  4. कुछ मरीजों ने अपने कृत्रिम हृदय उपकरण को हटा दिया क्योंकि उनके लक्षणों में सुधार हुआ।

भविष्य की संभावनाएँ

शोधकर्ताओं का मानना है कि सेल डिवीजन (Cell Division) से जुड़ी आणविक प्रक्रियाओं को लक्षित कर हृदय की पुनर्जीवन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इससे भविष्य में ऐसे उपकरण और दवाएँ विकसित की जा सकती हैं जो हृदय को खुद को ठीक करने में मदद करें।


यह शोध हृदय विफलता के स्थायी इलाज की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले वर्षों में इस अध्ययन के आधार पर नई तकनीकों और दवाओं से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।

जैसा कि शोधकर्ता हेशम सादेक ने कहा:

“अगर मानव हृदय खुद को पुनर्जीवित कर सकता है, तो यह वाकई विज्ञान की अद्भुत जीत होगी।”

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