क्या हो अगर यह कहा जाए कि भविष्य की घटनाएं आपके भूतकाल को प्रभावित कर सकती हैं? यह सुनने में एक साइंस फिक्शन मूवी की कहानी जैसा लगता है, लेकिन क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांत और कुछ अद्भुत प्रयोग इसे संभव कर दिखाते हैं।
सॉल्वे कॉन्फ्रेंस और क्वांटम बहस
साल 1927 में, ब्रुसेल्स के सॉल्वे इंस्टीट्यूट में दुनिया के महानतम फिजिसिस्ट्स ने पांचवीं सॉल्वे कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। यह वो समय था जब क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांत अपनी प्रारंभिक अवस्था में थे।
- अल्बर्ट आइंस्टीन और नील्स बोहर के बीच क्वांटम यांत्रिकी पर तीखी बहस ने इस कॉन्फ्रेंस को ऐतिहासिक बना दिया।
- आइंस्टीन का विश्वास था कि ब्रह्मांड डिटरमिनिस्टिक (निर्धारित) तरीके से काम करता है, जबकि बोहर और उनके सहयोगी कहते थे कि संभावनाओं और प्रेक्षणों के आधार पर वास्तविकता तय होती है।
डबल–स्लिट प्रयोग: प्रकाश की दोहरी प्रकृति
डबल-स्लिट एक्सपेरिमेंट (Thomas Young, 1800) ने दिखाया कि लाइट कभी-कभी कणों (particles) की तरह और कभी-कभी तरंगों (waves) की तरह व्यवहार करती है।
- जब लाइट बिना किसी बाधा के गुजरती है, तो वह इंटरफेरेंस पैटर्न बनाती है, जो तरंगों के गुणधर्म को दर्शाता है।
- लेकिन जब लाइट के कणों को ऑब्जर्व किया जाता है, तो इंटरफेरेंस पैटर्न गायब हो जाता है, और वह एक निश्चित स्थिति (particle-like behavior) में बदल जाती है।
जॉन विलर का डिलेड चॉइस क्वांटम इरेज़र प्रयोग
- इस प्रयोग ने दिखाया कि अगर किसी कण को स्क्रीन तक पहुँचने के बाद ऑब्जर्व किया जाए, तो वह अपने भूतकाल के व्यवहार को बदल सकता है।
- यह प्रयोग यह सुझाव देता है कि भविष्य की घटनाएं भूतकाल को प्रभावित कर सकती हैं।
यह परिणाम सुनने में जितना चौंकाने वाला है, उतना ही क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण देता है।
क्या यह सचमुच संभव है?
क्वांटम फिजिक्स के इन सिद्धांतों और प्रयोगों ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि:
- वास्तविकता केवल तभी “वास्तविक” होती है, जब उसे देखा या मापा जाता है।
- रेट्रो–कोसलिटी (Retro-Causality) का विचार बताता है कि समय केवल एक दिशा में नहीं चलता।
भविष्य और भूतकाल के बीच का यह संबंध अभी भी विज्ञान जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। डिलेड चॉइस क्वांटम इरेज़र जैसे प्रयोग इस बात के संकेत देते हैं कि हमारी समझ से परे, समय और वास्तविकता का गहरा और जटिल रिश्ता है।
क्या भविष्य में हम इसे पूरी तरह से समझ पाएंगे? शायद। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि क्वांटम फिजिक्स के ये सिद्धांत विज्ञान की दुनिया में अनगिनत संभावनाओं के दरवाजे खोलते हैं।