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टाइम कैप्सूल से निकली चींटी: 16 मिलियन साल पुरानी शिकारी ने खोले विकास के राज़

कल्पना कीजिए, एक ऐसी जीवित प्रजाति जो 1.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर मौजूद थी, और आज वह एक पारदर्शी एंबर के अंदर संरक्षित अवस्था में मिली है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में ऐसी ही एक विलुप्त शिकारी चींटी की खोज की है, जिसने जीवविज्ञान की अब तक की कई धारणाओं को बदल कर रख दिया है।

अमेरिका के न्यू जर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NJIT) के वैज्ञानिकों ने डोमिनिकन एंबर में ‘Basiceros enana’ नामक विलुप्त प्रजाति की चींटी का जीवाश्म खोजा है। यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक खजाना साबित हो रही है, क्योंकि यह नन्हा जीव — मात्र 5 मिमी का — आज जीवित किसी भी रिश्तेदार से आकार में छोटा है, लेकिन इसका विकास और पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान बहुत गहरा है।

यह चींटी “डर्ट एंट्स” नाम की उस प्रजाति से जुड़ी है जो मिट्टी और मलबे से खुद को ढंकने की असाधारण क्षमता रखती हैं — एक प्रकार की ‘क्रिप्सिस’ (camouflage) तकनीक। एंबर में संरक्षित Basiceros enana में भी यह विशेषता पाई गई है, जो यह दर्शाता है कि लाखों साल पहले भी ये जीव इतने उन्नत तरीकों से खुद को शिकारियों से बचाते थे।

माइक्रो-CT स्कैनिंग और 3D मॉडलिंग जैसी आधुनिक तकनीकों की मदद से वैज्ञानिकों ने इसकी बेहद बारीक संरचना का विश्लेषण किया। इसकी जबड़ों में 12 त्रिकोणीय दांत, एक अनोखा ट्रेपेज़ॉइडल सिर और दो परतों में मिट्टी चिपकाने वाले बाल पाए गए — सभी संकेत इस ओर इशारा करते हैं कि यह एक शिकारी जीव था।


विकास की एक उलझी कहानी

इस शोध की सबसे चौंकाने वाली खोज यह रही कि पूर्व की मान्यता के विपरीत, यह प्राचीन चींटी आकार में छोटी थी, जबकि आज की संबंधित प्रजातियाँ उससे कहीं बड़ी हैं। वैज्ञानिकों का मानना था कि डर्ट एंट्स पहले बड़े थे और समय के साथ छोटे हो गए। लेकिन Basiceros enana ने इस धारणा को पलट दिया।

“यह खोज दिखाती है कि जीवाश्म हमें किस हद तक किसी प्रजाति के विकास को समझने में मदद कर सकते हैं,” — शोध के मुख्य लेखक जियानपिएरो फियोरेंटिनो ने बताया। पिछले 20 मिलियन वर्षों में आकार में इतनी तेजी से बदलाव होना यह दर्शाता है कि इन पर कोई विशेष पर्यावरणीय या जैविक दबाव काम कर रहा होगा।


खोया हुआ पारिस्थितिकी तंत्र और विलुप्ति की कहानी

यह जीवाश्म इस ओर भी इशारा करता है कि कैरिबियन द्वीपसमूह में एक समय पर ऐसी प्रजातियाँ पाई जाती थीं जो आज केवल सेंट्रल और साउथ अमेरिका में ही देखने को मिलती हैं। यह संभव है कि उस समय ज़मीन के पुलों (land bridges) के ज़रिए ये जीव इन द्वीपों तक पहुँचे होंगे।

हालांकि आधुनिक डर्ट एंट्स अन्य क्षेत्रों में अब भी जीवित हैं, लेकिन कैरिबियन की यह विशेष प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। शोध में यह संभावना जताई गई है कि पर्यावरणीय बदलाव, प्रतिस्पर्धा या उनकी विशेष पारिस्थितिकी की समाप्ति इस विलुप्ति के कारण हो सकते हैं।

फियोरेंटिनो ने बताया, “डोमिनिकन गणराज्य के वर्तमान द्वीपों पर आज से 16 मिलियन साल पहले की तुलना में एक-तिहाई से अधिक चींटी की प्रजातियाँ समाप्त हो चुकी हैं।” यह आँकड़ा दर्शाता है कि आज जैव विविधता को बचाने के लिए हमें इन पुरानी कहानियों से सीख लेनी चाहिए — खासकर जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के बढ़ते प्रभाव के इस दौर में।

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