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म्यांमार में 100 साल का सबसे बड़ा भूकंप – कैमरे में कैद हुई धरती फटने की दुर्लभ घटना

म्यांमार के इतिहास में दर्ज होने वाला यह भूकंप न केवल ताकतवर था, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए एक अनमोल सबूत भी लेकर आया। 28 मार्च 2025 को दोपहर के समय, जब लोग शुक्रवार की नमाज़ अदा कर रहे थे, अचानक 7.7 तीव्रता का भूकंप केंद्रीय म्यांमार को हिला गया। इसका केंद्र मांडले (Mandalay) शहर के पास, सगाइंग फॉल्ट (Sagaing Fault) पर था। यह म्यांमार के पिछले 100 सालों में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप और आधुनिक दौर का दूसरा सबसे घातक भूकंप बन गया।


कैसे फटी धरती?

यह भूकंप एक स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट (Strike-Slip Fault) पर आया। इस तरह के फॉल्ट में धरती की दो बड़ी परतें एक-दूसरे के समानांतर, विपरीत दिशाओं में खिसकती हैं। सोचिए, मानो जमीन पर एक सीधी दरार बन जाए और दोनों तरफ की जमीन अचानक अलग-अलग दिशाओं में खिंच जाए।

पहले के शोध बताते थे कि ऐसे भूकंपों में पल्स जैसी लहर बनती है, जो थोड़ी घुमावदार दिशा में आगे बढ़ती है। लेकिन ये नतीजे सिर्फ भूकंपीय उपकरणों से, वो भी दूर से मिले आंकड़ों पर आधारित थे।


CCTV में कैद – विज्ञान के लिए दुर्लभ मौका

इस बार किस्मत ने साथ दिया – एक CCTV कैमरे ने धरती के फॉल्ट को हिलते हुए रियल टाइम में कैद कर लिया। क्योटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस फुटेज को फ्रेम-बाय-फ्रेम देखकर एक नई खोज की।

विश्लेषण से पता चला कि जमीन सिर्फ 1.3 सेकंड में 2.5 मीटर खिसक गई! यानी प्रति सेकंड लगभग 3.2 मीटर की रफ्तार से धरती खिसकी। यह दूरी तो सामान्य है, लेकिन इतना तेज़ और कम समय में होना बहुत असामान्य है।


पुष्टि हुई – पल्स-लाइक रूप्चर की

इस बेहद तेज़ गति ने पुष्टि कर दी कि यह पल्स-लाइक रूप्चर था — जैसे आप कालीन के एक सिरे को झटके से मारें और एक लहर पूरे कालीन में दौड़ जाए।

साथ ही, रिसर्च में पता चला कि फॉल्ट का रास्ता बिल्कुल सीधा नहीं था, बल्कि थोड़ा घुमावदार था। यह खोज इस बात को मजबूत करती है कि ऐसे भूकंपों में फॉल्ट का मार्ग अक्सर हल्का मुड़ा हुआ होता है।


भविष्य के लिए नई तकनीक

यह अध्ययन साबित करता है कि वीडियो-आधारित मॉनिटरिंग से भूकंप के बारे में नई और बारीक जानकारियां हासिल की जा सकती हैं। यह न केवल भूकंप की प्रक्रिया समझने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में आने वाले बड़े झटकों के प्रभाव का अनुमान लगाने में भी सहायक होगा।

वैज्ञानिकों का अगला कदम होगा – फिज़िक्स-आधारित मॉडलिंग के जरिए यह समझना कि फॉल्ट का व्यवहार किन कारकों से नियंत्रित होता है।

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