क्या आपने कभी सोचा है कि ब्रह्मांड के उन रहस्यमयी कोनों में क्या छिपा हो सकता है, जहाँ न हमारी आँखें पहुँच सकती हैं और न ही प्रकाश? खगोलविदों ने हाल ही में इस गूढ़ रहस्य को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। NASA की दूरबीनों का उपयोग कर, वैज्ञानिकों ने सुपरमैसिव ब्लैक होल्स—यानी ब्रह्मांड के इन विशालकाय अदृश्य दैत्यों—के बारे में नई और चौंकाने वाली जानकारियाँ जुटाई हैं।
सुपरमैसिव ब्लैक होल्स:
सुपरमैसिव ब्लैक होल्स सूर्य से अरबों गुना भारी हो सकते हैं। पर इनका अस्तित्व अधिकतर धूल और गैस के घने बादलों के पीछे छिपा रहता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि हर बड़ी आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल होता है। लेकिन इन्हें पहचानना उतना ही मुश्किल है जितना एक सुई को घास के ढेर में खोजना।
हाल ही में Astrophysical Journal में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह खुलासा किया कि लगभग 35% सुपरमैसिव ब्लैक होल्स घने गैस और धूल में छिपे रहते हैं। इससे पहले, यह संख्या केवल 15% मानी जाती थी। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह आँकड़ा 50% तक पहुँच सकता है। यह खोज हमें यह समझने में मदद कर सकती है कि आकाशगंगाएँ और ब्लैक होल्स साथ–साथ कैसे विकसित होते हैं।
ब्लैक होल्स अपने आप में बिल्कुल काले होते हैं—इनसे कोई प्रकाश बाहर नहीं आ सकता। लेकिन इनके चारों ओर घूमती गैस और धूल भयानक तापमान पर गर्म होकर इतनी तेज़ चमकती है कि पूरी आकाशगंगा के तारों की रोशनी भी फीकी पड़ जाए।
हालाँकि, अगर ब्लैक होल के चारों ओर धूल और गैस का मोटा छल्ला—जिसे टोरस कहते हैं—मौजूद हो, तो यह चमक भी छिप जाती है। यह टोरस एक डोनट की तरह दिखता है, जिसमें चमकदार केंद्र अंदर छिपा होता है। अगर हम इसे सीधा देख रहे हों, तो यह चमक दिखती है, लेकिन अगर यह किनारे से दिखे, तो सारा प्रकाश ब्लॉक हो जाता है।
NASA ने इन छिपे हुए ब्लैक होल्स को खोजने के लिए दो खास तकनीकों का इस्तेमाल किया। 1983 में लॉन्च हुआ Infrared Astronomical Satellite (IRAS) ने इन्फ्रारेड रोशनी का पता लगाया, जिसे ब्लैक होल के आसपास का गर्म टोरस छोड़ता है।
वहीं, NuSTAR नाम की आधुनिक दूरबीन ने उच्च ऊर्जा वाले एक्स–रे को मापा, जो घने गैस और धूल को भेद सकती है। इन दोनों डेटा को मिलाकर वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल्स को अधिक सटीकता से पहचानने में सफलता पाई।
ब्लैक होल्स और आकाशगंगाओं का विकास
सुपरमैसिव ब्लैक होल्स केवल एक खगोलीय रहस्य नहीं हैं; ये आकाशगंगाओं के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। जब कोई पदार्थ ब्लैक होल के करीब जाता है, तो वह तेज़ी से घुमाव खाता है, गर्म होता है, और इतनी ऊर्जा छोड़ता है कि पूरी आकाशगंगा प्रभावित हो जाती है।
यह ऊर्जा नई तारों के निर्माण को या तो बढ़ावा दे सकती है या इसे रोक सकती है। साथ ही, ब्लैक होल्स शक्तिशाली जेट्स छोड़ते हैं, जो गैस को गर्माकर इसे ठंडा होने और नए तारे बनाने से रोकते हैं। यह प्रक्रिया आकाशगंगा के आकार और चमक को निर्धारित करती है।
क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण?
यह शोध इस बात का सबूत है कि दशकों पुराने डेटा भी नए रहस्यों को उजागर करने में मदद कर सकते हैं। जैसे IRAS ने इन्फ्रारेड डेटा प्रदान किया और NuSTAR ने एक्स–रे अवलोकन किए। इन दोनों के समन्वय से वैज्ञानिकों को सुपरमैसिव ब्लैक होल्स की बेहतर समझ मिली।
MIT के प्रोफेसर पीटर बोरमन के शब्दों में, “यह जानना आश्चर्यजनक है कि IRAS और NuSTAR जैसे उपकरण हमें आज भी नई जानकारियाँ देने में सक्षम हैं। यह केवल ब्लैक होल्स की खोज नहीं है, बल्कि खगोल विज्ञान में मानव कल्पना और नवाचार का प्रतीक है।”